कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर में 18 साल पहले खोये भाई को इंस्टाग्राम पर वायरल रील से बहन ने पहचान लिया। परिवार को पूरी तरह से भूल चुका भाई बहन के याद दिलाने पर मिलने को बेताब हो उठा।
फतेहपुर जनपद के इनायतपुर निवासी संवली खेती-किसानी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं। परिवार में पत्नी रामकली के अलावा तीन बेटे बालगोविंद, धीरज और मनीष हैं। तीन बेटियां रेखा, राजकुमारी और सुलेखा हैं। संवली ने बताया कि बड़ी बेटी रेखा और मंझली बेटी राजकुमारी की शादी कानपुर जनपद के महाराजपुर थाना क्षेत्र के गंगागंज में की है। वहीं छोटी बेटी सुलेखा अविवाहित है। 18 साल पहले उनका बड़ा बेटा बालगोविंद, जब 15 साल का था। तो वह गांव के कई लोगों के साथ रोजगार की तलाश के लिए मुंबई चला गया था। बालगोविंद वहां मजदूरी करने लगा।
करीब तीन महीने बाद गांव के लोग वापस लौट आए लेकिन बालगोविंद मुंबई में ही रह गया। अकेला होने पर वह गांव के लिए चल पड़ा। मुंबई स्टेशन पर पहुंचा तो गलत ट्रेन पर चढ़ गया और राजस्थान जा पहुंचा। वहां वह अकेला रहकर परेशान हो गया। पेट भरने के लिए मजदूरी करने लगा। कई महीनों उसने फुटपाथ पर रातें बिताई। वहां उसने ईश्वरी नाम की लड़की से शादी कर ली और उसके दो बच्चे भी हो गए।
अपने परिवार को पूरी तरह से भूल चुके बालगोविंद को रील बनाने का शौक हो गया। वह रील बनाकर इंस्टाग्राम पर डालता था। एक महीने पहले बालगोविंद की बहन राजकुमारी ने इंस्टाग्राम पर उसके वीडियो देखे तो उसके टूटे दांत और पिता से हूबहू मिलते चेहरे से पहचान लिया। फोन पर बात की तो पहले तो उसे कुछ याद नहीं आया लेकिन माता-पिता और भाइयों के बारे में बताने पर धुंधली यादें ताजा हो गईं। उसने अपनी बहन को पूरी दास्तां बताई। गुरुवार को बालगोविंद अपने परिवार के साथ सेंट्रल स्टेशन पर पहुंचा तो पूरा परिवार उसके स्वागत के लिए खड़ा था। 18 साल बाद अपने भाई को देख बहनें फफक पड़ीं।
बेटे के लिए रखी गईं मन्नतें
परिजनों ने बताया कि बालगोविंद के खो जाने के बाद पिता संवली उसे खोजने मुंबई भी गए थे। लेकिन कुछ पता नहीं चला। बेटे के मिल जाने के लिए परिवार ने मंदिर बनवाने और रोज घी का दीपक जलाने की मन्नत भी रखी थी। मंदिरों में घंटे भी बांधे।
बेटे के लौटने पर खुशी
बालगोविंद के वापस आने पर परिजनों में खुशी का माहौल है। पिता संवली और मां रामकली ईश्वर को धन्यवाद देते नहीं थके। सेंट्रल पर उतरने के बाद बहनें बालगोविंद को लेकर अपने गांव महाराजपुर ले गईं। इससे पहले बालाजी मंदिर और ड्योढ़ी घाट भी गए। शुक्रवार सुबह फतेहपुर स्थित अपने घर जाएंगे।