लखनऊ। यूपी एसटीएफ ने राजधानी के विभूतिखंड से दो शातिर ठगों को गिरफ्तार कर गिरोह का राजफाश किया। आरोपी पीएम का सचिव और यूपी सीएम का प्रोटोकॉल अफसर बन ठगी को अंजाम देते थे। अब तक सैकड़ों लोगों से करोड़ों की ठगी कर चुके हैं। शातिर मुख्य रूप से लोगों को जाल में फंसाकर ट्रांसफर-पोस्टिंग, राजनीतिक पद दिलाने, सरकारी नौकरी व टेंडर दिलाने के नाम पर ठगी करते थे। गिरोह में कई और सदस्य भी शामिल हैं। उनकी तलाश एसटीएफ कर रही है।
एसटीएफ के एएसपी विशाल विक्रम सिंह ने बताया कि पीलीभीत के बीसलपुर निवासी रामशंकर गुप्ता उर्फ आशीष कुमार गुप्ता और अशोक विहार दिल्ली के रहने वाले अरविंद त्रिपाठी उर्फ गणेश त्रिपाठी उर्फ गुरुजी को गिरफ्तार किया गया है। रामशंकर वर्तमान में अलीगंज की विष्णुपुरी कालोनी में किराए पर रहता था। पूछताछ में आरोपी रामशंकर गुप्ता ने बताया कि उसने अपना फर्जी नाम डॉक्टर आशीष कुमार गुप्ता रखा। वह लोगों से इसी पहचान से मिलता था।
खुद को वीसी भी बताता था रामशंकर
एसटीएफ के मुताबिक रामशंकर गुप्ता खुद को दिल्ली स्थित सुकरात यूनिवर्सिटी का वीसी भी बताता था। दरअसल रामशंकर गुप्ता का नई दिल्ली के सुकरात सोशल रिसर्च विश्वविद्यालय के चेयरमैन से संपर्क है। एसटीएफ के मुताबिक रामशंकर ने उनसे मिलकर कई लोगों को पीएचडी (आनरेरी डॉक्टरेट) की डिग्री पैसा लेकर दिलाई है। इसी पहुंच के चलते वह खुद को यूनिवर्सिटी का वीसी बताता था।
एसटीएफ के मुताबिक रामशंकर लोगों से उनके काम के मुताबिक अलग-अलग पहचान बताकर मिलता था। कभी वह खुद को आईएएस और कभी पीसीएस अफसर बताता था तो कभी वीसी। वह अपनी गाड़ी में एक दो युवकों को पीआरडी की वर्दी पहनाकर बैठा लेता था और गाड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार का लोगो लगवा रखा था ताकि लोगों को लगे कि वह रसूखदार अधिकारी है। एसटीएफ की पूछताछ में उसने बताया कि वह किसी भी सरकारी विभाग में कार्यरत नहीं है। न ही वीसी है।
योग शिविर के जरिए बनाते थे शिकार
रामशंकर ने बताया कि अरविंद त्रिपाठी उर्फ योग गुरु जी व उनके साथी शिकार फंसाने में उसकी मदद करते थे। दरअसल योग गुरु के नाम से पहचाने जाने वाले अरविन्द त्रिपाठी के कई बडे़ राजनेताओं, अधिकारियों व ठेकेदारों से से संपर्क हैं। वह अक्सर योग शिविरों का आयोजन करवाता था। जिसमें बड़ी संख्या मे बडे-बडे ठेकेदार,प्रशासनिक अधिकारी एवं प्रतिष्ठित लोग- राजनेता शामिल होते थे। ठेकेदारों व अधिकारियों से वह रामशंकर को प्रशासनिक अधिकारी, सीएम कार्यालय का करीबी बताकर मिलवाता था।
फिर उनसे ठेकों और ट्रांसफर पोस्टिंग कराने के नाम पर वसूली करते थे। अरविंद त्रिपाठी से जुड़े कुछ लोगों ये लोग पीएमओ का अधिकारी बताते थे। यूपी के कामों के लिए रामशंकर उर्फ आशीष गुप्ता के नाम पर वसूली होती थी वह दिल्ली के कामों के लिए अरविंद त्रिपाठी के सहयोगियों के नाम पर ठगी होती थी।
ज्यादातर रकम लेता था नकद
रामशंकर ठगी व वसूली से जुड़ी ज्यादातर रकम नकद में लेता था। ताकि मनी ट्रेल को ट्रेस करना आसान नहीं हो। इसके अलावा जो बैंक से लेन देन होता था उसके लिए वह आशीष गुप्ता के नाम से खुले बैंक खातों का इस्तेमाल करता था। रामशंकर ने हिन्दुस्तान स्काउट एण्ड गाइड एसोसिएशन की ट्रेनिंग कराने और नौकरी दिलाने के नाम पर लगभग 100 बच्चों से साढ़े सात हजार रुपये प्रति बच्चे के हिसाब से पैसा लिया है।
12वीं तक पढ़ा है योग गुरु
योग गुरु अरविंद त्रिपाठी 12वीं कक्षा तक पढ़ा है। वह खुद को दिल्ली हाईकोर्ट का वकील भी बताता है। अरविंद के पास से एसटीएफ को दिल्ली हाईकोर्ट का आईडी कार्ड भी मिला है। वहीं रामशंकर के पास से सीएम के प्रोटोकॉल अधिकारी, सुकरात विवि के वीसी के आईडी कार्ड समेत 14 पहचान पत्र और 18 विजिटिंग कार्ड मिले हैं। इसके अलावा विशेष सचिव निवेश व वीसी के नाम से दो लेटर पैड, पीआरडी की वर्दी और अन्य जाली दस्तावेज बरामद हुए हैं।
दोनों के नाम से दो आधार कार्ड
एसटीएफ को रामशंकर गुप्ता के पास से दो आधार कार्ड मिले। एक कार्ड रामशंकर के नाम से और दूसरा आशीष गुप्ता के नाम से। आशीष गुप्ता वाले आधार कार्ड का इस्तेमाल वह फर्जीवाडे़ में करता था। इस नाम से उसने बैंक खाता भी खोल रखा था जिसमें फर्जीवाड़े और ठगी से जुटाई रकम का लेन- देन करता था।