रामपुर। यूपी के चर्चित कारतूस घोटाले में रामपुर की अदालत ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सभी 24 गुनाहगारों को 10 साल की सजा सुनाई है। इनमें 20 पुलिस, पीएसी और सीआरपीएफ के जवान हैं, जबकि चार आम लोग शामिल हैं। इनमें एक आरोपी PAC के रिटायर्ड दरोगा यशोदानंदन की मौत हो चुकी है।
छह अप्रैल 2010 को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में गश्त के दौरान सीआरपीएफ की टुकड़ी पर नक्सलियों ने हमला कर दिया था। इस ताबड़तोड़ हमले में सीआरपीएफ के 76 जवान बलिदान हो गए थे। विवेचना के दौरान बरामद गोली प्रतिबंधित बोर 9 एमएम पाई गई थी जो कि सरकारी होती है। इसके बाद सरकारी तंत्र के कान खड़े हो गए। इस मामले की जांच बैठाई गई। जांच यूपी एसटीएफ को सौंपी गई थी। एसटीएफ की टीम ने बिहार, यूपी, छत्तीसगढ़ समेत प्रदेश के कई जिलों में छापेमारी की। छापेमारी के दौरान पहला सूत्रधार प्रयागराज निवासी पीएसी के रिटायर्ड दरोगा यशोदानंदन की रामपुर में हुई गिरफ्तारी के बाद सामने आया। जांच के क्रम में टीम को यशोदा नंद के पास से एक डायरी मिली। यशोदानंदन की डायरी में कई जिलों के पुलिस और पीएसी के जवानों के नाम लिखे थे। यशोदानंदन उनसे खोखा और कारतूस खरीदता था।
पुलिस ने इसके साथ ही सीआरपीएफ के दो हवलदार विनोद पासवान और विनेश कुमार को भी गिरफ्तार किया था। पुलिस ने लंबी पूछताछ के बाद बीस वर्दीधारी व चार नागरिकों को गिरफ्तार करते हुए जेल भेज दिया था। पुलिस ने अपनी चार्जशीट में साफ लिखा था कि आरोपियों के बैंक खातों में नक्सलियों से धनराशि आती थी।
पुलिस ने चार्जशीट में यह भी लिखा कि आरोपियों के बैंक खातों में पैसा जमा करने का काम मुख्य आरोपी यशोदानंदन ही करता था। पुलिस ने चार्जशीट में यह भी लिखा था कि नक्सलियों को सप्लाई होने वाले हथियार व कारतूस यूपी पुलिस, पीएसी व सीआरपीएफ के माल खानों से चोरी होते थे और नक्सलियों तक नागरिकों के माध्यम से पहुंचा करते थे।
नेपाल के रास्ते से नक्सलियों तक पहुंचती थी सप्लाई
नक्सलियों तक हथियारों व कारतूस की सप्लाई नागरिकों के माध्यम से नेपाल के रास्ते से होती थी। इस मामले की विवेचना से जुड़े पुलिस अधिकारियों के मुताबिक हथियारों की सप्लाई नेपाल के रास्ते छत्तीसगढ़ तक पहुंचती थी। सप्लाई की जिम्मेदारी आम नागरिकों को मोटी रकम देकर कराई जाती थी।
इन लोगों पर हुआ दोष सिद्ध
रामपुर कारतूस कांड में पुलिस और पीएसी के 20 जवानों को दोषी ठहराया गया है। इनमें प्रयागराज के थाना सराय इनायत के ग्राम सुधनीपुर निवासी दिनेश कुमार को दोषी माना गया है। इसके अलावा कोर्ट ने बिहार पटना के थाना भदोह महादेवगढ़ निवासी विनोद पासवान, मुरादाबाद जिले के मझौला थाना के धीमरी निवासी विनेश, कानपुर नगर के थाना घाटमपुर के वीरपुर निवासी वंशलाल, मऊ के थाना सराय लखन के रेकबार डीह निवासी अखिलेश पांडेय, देवरिया जिले के थाना बिरियारपुर बिशनुपुरा निवासी राम कृपाल सिंह, शामली के थाना भवन के जलालपुर निवासी नाथीराम सैनी, गोरखपुर के थाना हरपुर बुधहट के सुगौना निवासी राम कृष्ण शुक्ल, हरदोई के थाना कोतवाली नगर के चांद बेहटा निवासी अमर सिंह और उन्नाव के थाना फतेहपुर चौरासी के विजीदपुर निवासी बनवारी लाल को कोर्ट ने दोषी ठहराया है।
इनके अलावा बिहार के सिवान जिले के गुढनी थाना के सोहगप पूरनपट्टी निवासी राजेश कुमार सिंह को भी दोषी माना गया है। साथ ही, देवरिया के थाना तटकुलवा के हरैया निवासी राजेश शाही, कानपुर देहात के शिवली थाना के देवनगर वार्ड सात निवासी अमरेश कुमार, मऊ के थाना रानीपुर के उमती निवासी विनोद कुमार सिंह, जौनपुर के थाना बक्सा के शेखपुरा निवासी जितेंद्र सिंह, बस्ती के थाना लालगंज बनकटी के बजेटा निवासी सुशील कुमार मिश्र, चंदौली के थाना खुरहजा बबुरी के रघुनाथपुर निवासी ओम प्रकाश सिंह एवं थाना कोतवाली के विहिवा कला निवासी लोकनाथ, चंदौली के विहिवा कला निवासी लोकनाथ, फतेहपुर के थाना बकेवर के किशनपुर निवासी रजयपाल सिंह, और चंदौली के भंडवा थाना के पई निवासी मनीष कुमार राय को दोषी माना गया है।
इनके अलावा 4 आम लोगों को भी इस मामले में दोषी ठहराया गया है। इसमें बिहार के रोहतास के डेहरी आन सोन के तेंदवा थाना के मुरलीधर शर्मा, मऊ के हलधर थाना के अगडीपुर गांव निवासी दिलीप कुमार एवं आकाश और गाजीपुर जिले के थाना बिरनो के बद्दूपुर गांव निवासी शंकर को दोषी ठहराया गया है।