लखनऊ। यूपी विधान परिषद की दो सीट पर हुए चुनाव के नतीजे घोषित हो गए हैं, इस उपचुनाव में दोनों सीट पर बीजेपी ने अपनी जीत दर्ज की है। बीजेपी के प्रत्याशी मानवेंद्र सिंह और पद्मसेन चौधरी ने जीत की है, वहीं सपा के दोनों प्रत्याशियों की हार हुई है। मतदान के दौरान संपूर्ण विपक्ष न केवल बिखरा सा गया बल्कि रणनीतिक रूप से पिछड़ता दिखा। 2024 लोकसभा चुनाव से पूर्व विपक्षी दलों को एकजुट करने की मुहिम यूपी में ही औधे मुंह गिर गयी।
यूपी विधान परिषद के दो सीटों पर हुए उपचुनाव हुए, दोनों सीट लक्ष्मण आचार्य के इस्तीफे और बनवारी लाल के निधन के कारण रिक्त हुई थीं। भाजपा के पदमसेन ने सपा के रामकरन को हराया। पदमसेन को 279 और रामकरन को 116 वोट मिले। एक वोट अवैध हो गया।वहीं, भाजपा के मानवेंद्र सिंह ने सपा के रामजतन राजभर को हराया। मानवेंद्र सिंह को 280 वोट और रामजतन सिंह को 116 वोट मिले।
बिखर गया विपक्ष
मतदान के दौरान 403 में से कुल 396 विधायकों ने मतदान किया। समाजवादी पार्टी के दो और सुभासपा का एक विधायक जेल में होने के कारण मतदान नहीं कर सका। वहीं, स्वास्थ्य खराब होने के कारण सपा विधायक मनोज पारस भी मतदान नहीं कर सके। कांग्रेस के दोनों विधायकों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। बसपा के भी एक विधायक ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। सपा के पाले से कुछ विधायकों के क्रास वोटिंग की संभावना भी है। सुभासपा के विधायकों में भी बिखराव से इंकार नहीं किया जा सकता क्योंकि उसमें तीन तो सपा की पृष्ठभूमि से हैं।
सपा ने नहीं मांगा था कांग्रेस से समर्थन
विधान परिषद की दो सीटों के लिए सोमवार को हुए चुनाव से कांग्रेस के दोनों विधायक दूर रहे। विपक्षी दलों की एकजुटता की उम्मीद लगाए बैठे लोग आखिरी समय तक कांग्रेस के विधायकों का इंतजार करते रहे लेकिन वे नहीं आए। इस बीच जानकारी मिली कि सपा ने इस चुनाव में कांग्रेस से समर्थन ही नहीं मांगा था।
कांग्रेस विधान मंडल की नेता आराधना मिश्रा ‘मोना’ और पार्टी के दूसरे विधायक वीरेन्द्र चौधरी मतदान से गैर हाजिर रहे। आराधना मिश्रा ‘मोना’ ने कहा कि उन्हें चुनाव में पार्टी की तरफ से कोई निर्देश नहीं मिला था। ऐसे में मतदान में हिस्सा लेने का सवाल ही नहीं था। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस को उम्मीद थी कि सपा अपने प्रत्याशियों के लिए वोट देने का अनुरोध करेगी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। उसके प्रत्याशियों ने अंतरात्मा की आवाज पर तो वोट मांगा लेकिन वैचारिक रूप से करीब दलों से संपर्क नहीं किया। चुनाव में केवल भाजपा व सपा के ही प्रत्याशी आमने-सामने थे। ऐसे में कांग्रेस के सामने केवल सपा के ही साथ खड़े होने का विकल्प भी था।
ब्रजेश पाठक के साथ वोट डालने आए ओम प्रकाश राजभर
विपक्षी दलों में कांग्रेस के दो व बसपा के एक विधायक ने सत्तारुढ़ भाजपा व मुख्य विपक्षी दल सपा से समान दूरी बनाते हुए चुनाव से गैरहाजिर होना जरूरी समझा। जबकि विपक्षी खेमे में शामिल सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर सत्तारुढ़ भाजपा के साथ खड़े दिखाई दिए। माना जा रहा है कि उनकी पार्टी के विधायकों ने भाजपा को समर्थन दिया है। ओम प्रकाश राजभर उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक के साथ वोट देने आए।