रामपुर। 27 महीने बाद सीतापुर जेल से रिहाई मिलने के बाद विधायक आजम खान रामपुर में अपने घर पहुंच गए हैं। यहाँ उन्होंने अखिलेश यादव पर निशाना भी सादा, इससे पहले तक आजम खान की सपा से नाराजगी की खबरें आती रही हैं। हालांकि समाजवादी पार्टी के नेता लगातार इस बात से इनकार कर रहे हैं।
रामपुर से सपा विधायक आजम खान 27 महीने से सीतापुर जेल में बंद थे। शुक्रवार सुबह 8 बजे जेल से बाहर आए आजम को उनके दोनों बेटों अब्दुल्ला और अदीब ने रिसीव किया। शिवपाल यादव भी इस दौरान साथ रहे। जेल से आजम सीधे सीतापुर में अपने करीबी पूर्व विधायक अनूप गुप्ता के घर पहुंचे। समर्थकों से गले मिलने के दौरान आजम भावुक हो गए। उनकी आंखें भर आईं। इधर, अखिलेश यादव ने भी आजम की रिहाई पर सुबह पहला ट्वीट किया। उन्होंने कहा- रिहा होने पर हार्दिक स्वागत है।
इसके बाद आजम खां ने अपने घर के पास स्थित मुमताज पार्क पहुँचे और यहाँ उन्होंने कहा कि इस दरख्त की जड़ों में जहर डालने वाले लोग अपने हैं, हम आपके सामने जिंदा खड़े हैं, ये किसी आश्चर्य से कम नहीं है। हमें जहां रखा गया था उस कोठरी में अंग्रेजों के जमाने में उन लोगों को रखा जाता था जिन्हें दो-तीन दिन बाद फांसी होनी होती थी। हमारी कोठरी के पास ही फांसीघर था। हमारे बच्चे और पत्नी के आ जाने के बाद हम अकेले रह गए थे, बस दीवार और छत थी। रात होती थी तो सुबह का तसव्वुर रहता था और सुबह को शाम का तसव्वुर होता था। इस तरह आपसे जुदा होकर समय गुजारा है। हमारे रिश्तों में तसव्वुर ही नहीं था कि हम और आप जुदा होंगे।
माना जा रहा है कि आजम खान का इशारा अखिलेश यादव की ओर है। हाल ही में आजम के करीबियों ने खुलकर आरोप लगाया था कि अखिलेश यादव ने बुरे वक्त में साथ नहीं दिया। इसके बाद आजम खान ने अखिलेश यादव की ओर से भेजे गए दूतों से मिलने से इनकार कर दिया था।
आजम ने एनकाउंटर की भी आशंका जताई है। उन्होंने कहा कि जेल में बयान लेने आए दरोगा ने सचेत किया था कि जमानत मिलने के बाद भूमिगत रहिएगा, वरना एनकाउंटर कराया जा सकता है।
आजम खान ने कहा, ”मेरे शहर को उजाड़ दिया था, सिर्फ इसलिए कि यहां तुम्हारी आबादी है। तारीख तो तोड़ा-मरोड़ा जा सकता है लेकिन भुलाया नहीं जा सकता। आजम खान ने अपने संघर्ष को याद करते हुए कहा, ”जिंदगी की शुरूआती दौर में जब एएमयू में सेक्रेट्री थे तब मुल्क में इमरजेंसी लगी, तब हमें पौने दो साल बनारस की जेल काटी थी। जब जिंदगी की शुरूआत हुई थी उस वक्त भी हालात ने हमसे कुर्बानी ली थी और जिंदगी के इस मोड़ पर एक बार फिर कुर्बानी ली चालीस साल का यह लंबा सफर बेकार नहीं जाएगा आसमान की कसम खाकर कहता हूं कि इन सूखे दरख्तों में फिर कपोले फूटेंगी। फिर बहार आएगी।”