बहराइच। कतर्नियाघाट जीव प्रभाग के जंगल के आस-पास रहने वाले ग्रामीणों को भारत सरकार के विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी विभाग के सौजन्य से WWF एवं कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग द्वारा दो दिवसीय मशरूम की खेती हेतु प्रशिक्षण दिया गया। इस योजना में कतर्नियाघाट व निशानगाड़ा रेंज अंतर्गत ग्राम चहलवा एवं कोहली रमपुरवा के 40 ग्रामीणों को पीलीभीत से आये विशेषज्ञ द्वारा प्रशिक्षण देकर निशुल्क बीज व दवाएं उपलब्ध कराई गईं।
प्रशिक्षण में WWF के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी दबीर हसन ने बताया कि वन क्षेत्रों के निकट बसे ग्रामीणों की मुख्य समस्या बेरोजगारी, वन्य जीवों से फसल क्षति, कम कृषि भूमि एंव स्वास्थ्य समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए उनके आय के अतिरिक्त साधन बढ़ाने तथा सब्जियों की फसलो में केमिकल इस्तेमाल से स्वास्थ्य पर कुप्रभाव को कम करने के उद्देश्य से इस योजना को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। मशरूम की खेती बहुत कम लागत व श्रम से अच्छा आय एंव पौष्टिक सब्जी प्राप्त हो सकती है। ग्रामीणों द्वारा उत्पादित मशरूम को कतर्नियाघाट स्थित कैंटीन संचालको एवंवन विश्राम भवनों पर उपलब्ध कराया जाएगा जिससे पर्यटकों को पूर्णता जैविक मशरूम का स्वाद मिल सके।
प्रशिक्षक महेंद्र गंगवार ने मशरूम की खेती के बारे में लोगो को विस्तार से बताया तथा उनको विधिवत रूप से अभ्यास करवाया। उन्होंने बताया कि ओएस्टर या ढींगरी मशरूम की फसल बहुत कम लागत में 15 दिन में प्राप्त की जा सकती है। यह पूरी तरह जैविक है तथा स्वादिष्ट, स्वास्थ्यवर्धक एवं औषधीय गुणों से युक्त है। उन्होंने बताया कि इसमें एमीनो एसिड, मिनरल, विटामिन जैसे पौष्टिक तत्व भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं। प्रशिक्षण में ग्राम प्रधान रमपुरवा केशरानी, इको विकास समिति अध्यक्ष राणा फार्म हरिकेश चौबे, वन विकास अभिकरण अध्यक्ष चहलवा इद्रीस, ग्राम पंचायत सदस्य चहलवा ब्रह्मा, विनोद कुमार, डिप्टी रेंजर रमेश चंद्र मौर्या, वन रक्षक कबिरुल हसन, WWF के सहायक परियोजना अधिकारी राजेन्द्र कुमार, फील्ड सहायक मंसूर अली, प्रेमचंद मौर्या आदि लोग उपस्थित रहे।