नई दिल्ली। पूरे बहराइच में अक्सर निजी अस्पतालों और डॉक्टरों द्वारा इलाज के नाम पर गरीबों से मोटे पैसे वसूलने के मामले सामने आते रहे हैं। लेकिन पैसे का रौब और भ्रस्टाचार का दीमक हर बार इन डॉक्टरों मनोबल बढ़ाता गया। खैर, डॉक्टरों का ये खेल तो चलता रहेगा लेकिन हम आपको ऐसी खबर पढ़ाने जा रहे हैं जो शायद कुछ अच्छे डॉक्टरों के लिए आपका नजरिया बदल दे।
ये कहानी है चेन्नई के डॉ. एस जयाचन्द्रन की जिनकी अभी हाल ही मौत हो गई। पिछले 40 वर्षों से चिकित्सा के क्षेत्र में सक्रिय डॉ. जयाचंद्रन “लोगों के डॉक्टर” के नाम से मशहूर थे। एक लंबी बीमारी के बाद पिछले बुधवार को डॉ. जयाचंद्रन का निधन हो गया। डॉ. जयाचंद्रन की मरने की खबर दिन चढ़ने के साथ फैलती रही और धीरे-धीरे पूरा शहर उनके अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़ा। डॉ. जयाचंद्रन मध्यम व निम्न मध्यम आयवर्ग के लोगों में बहुत मशहूर थे और आज भी महज दो रुपए में इलाज करते थे। जयाचंद्रन के बड़े बेटे सरावन जगन ने बताया कि उनके पिता पिछले काफी समय से फेफड़ों की समस्या से परेशान थे। चेन्नई के ग्रींस रोड पर स्थित एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था जहां उन्होंने बुधवार सुबह अंतिम सांस ली। बेटे ने बताया, वह हमेशा दूसरों की सेवा करने के लिए कहा करते थे। वह कहते थे कि नॉर्थ चेन्नई के लोग आर्थिक रूप से कमजोर हैं, जो महंगा इलाज नहीं करा सकते, इसलिए हमें उनकी मदद करनी चाहिए’। डॉक्टर एस जयाचंद्रन से इलाज करा चुकी के राजेश्वरी ने बताया कि वे उनके फैमिली डॉक्टर थे। बताया कि मैं उन्हें बीते 40 साल से जानती हूं। नेक काम को आज डॉक्टर्स ने बिजनेस बना दिया है, लेकिन डॉ. जयाचंद्रन हमेशा इसे लोगों की सेवा के नजरिए से ही देखते थे। अपनी प्रैक्टिस के दौरान जयाचंद्रन केवल 25 प्रतिशत लोगों से ही पैसे लेते थे और वह भी केवल दो रुपए। डॉक्टर एस जयाचंद्रन के पुराने मित्रों ने बताया कि उन्होंने मद्रास मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई की थी। इसके बाद 1970 में उन्होंने ओल्ड वाशरमैनपेट में अपनी प्रैक्टिस शुरू कर दी। कुछ समय बाद उन्होंने अपनी क्लीनिक कासीमेडू में शिफ्ट कर दी। डॉ. जयाचंद्रन अपने घर पर भी लोगों की सेवा में लगे रहते थे।