ऐ ज़िंदगी कुछ तो बता By Mohit Sharma…
ऐ ज़िंदगी कुछ तो बता। आता नहीं समझ करना क्या है, जीवन को किस ओर लेकर जाना है, यू ही ...
ऐ ज़िंदगी कुछ तो बता। आता नहीं समझ करना क्या है, जीवन को किस ओर लेकर जाना है, यू ही ...
देख मेरे ये नयन प्यासे, देखते पानी नहीं, लब्ज़ जर्जर हैं भले ही, मांगते रोटी नहीं.! हाथ उठते हैं ये ...
हर ज़हर को पीता हूँ बेसबब ही जीता हूँ.! कई मोड़ आये हैं बदलते सफ़र देखे जीतने की ख्वाहिश में ...
निःसंदेह कविताओं के बुरे दिन आ गए हैं जो हम जैसे कवि मंच पा गए हैं यानि पूरे भारत मे ...
क्या बदल गया ,और क्या बदल जाता ? ये सवाल गर मन मे पहले ही मचल जाता । ठंड सुबहो ...
वो एक कलम थी जो स्याही से नहीं,अश्कों से भरी हुई थी वो एक गज़ल थी जो अल्फ़ाज़ों से नहीं, ...
बस्तियों के बीच शोरगुल सा माहौल था, समां खामोश थी मौसम गमगीन था। आते-जाते राहगीर देखकर थे हैरान, इतनी शोर ...
तेरा किरदार जरूरी है कहानी के लिए जैसे पतवार जरूरी है रवानी के लिए पात बिना शाख के वो एक ...
आज पता नही तेरी याद क्यों बहुत आयी पल-पल तेरा चेहरा पल-पल तेरी परछाई भूली बिसरी यादे वो बाते मुलाकाते ...