बिजली, सड़क और अस्पताल पाने के लिए सालों से तरस रही तुलसीराम पुरवा गांव की धरती

बहराइच। मिहींपुरवा ब्लॉक क्षेत्र के थाना मोतीपुर अंतर्गत तुलसीराम पुरवा गांव वालों की आंखे बिजली,सड़क और अस्पताल देखने के लिए तरस गई हैं। 500 की आबादी वाले इस गांव के बच्चों ने जबसे होश सम्हाला, ढिबरी और लालटेन के रोशनी में खेल-कूदे और पले-बढ़े। गांव वालों ने बताया कि चुनाव के दौरान न जाने कितने नेता आये और बिजली, सड़क, अस्पताल के नाम पर खोखले वादे करके चले गये। बरसों पहले गांव तो बस गया लेकिन बुनियादी जरूरतों के लिए ग्रामीण आजतक मोहताज़ हैं।

मिहींपुरवा कस्बे से सटा तुलसीराम पुरवा गांव आजादी के वक्त बसाया गया था। 500 की आबादी वाले इस गांव में लोगों को हर 5 साल में वोट देने का अधिकार भी मिला हुआ है। लेकिन जिस गांव के विकास के लिए लोग वोट देते हैं, वो यहाँ से कोसों दूर है। गांव में क्षेत्र पंचायत सदस्य रह चुके 55 वर्षीय पेशकार ने बताया कि जन्म से ही उन्होंने इस गांव को बिना बिजली, सड़क और अस्पताल के देखा है।

नहीं आई सालों से बिजली

बिजली न होने की वजह से इस गांव की राते ढिबरी और लालटेन में बीतती हैं। यहाँ किसी घर में न टीवी है, न कूलर। काफी शिकायत पर ग्राम प्रधान ने कच्ची सड़क पर सोलर की लाइट्स लगवा रखी हैं, जो ठंडक के दिनों में महज शो पीस बनी रहती हैं। वहीं सड़क का भी कुछ यही हाल है। सड़क के नाम पर सालों पुराना पटन्जा लगा हुआ है जो क्षेत्र पंचायत सदस्य पेशकार ने ही लगवाया था। सड़क के लिए तब से लेकर आजतक ग्राम प्रधानों के दरवाजे खटकाये गये लेकिन आश्वासन के सिवाय कुछ नही मिला। सालों से यहाँ के लोग मिट्टी वाली सड़क की धूल फांक रहे हैं।

सड़क न होने की वजह से आवागमन के कोई साधन उपलब्ध नही हैं। गांव से कस्बे तक का सफ़र तय करने के लिए एक मात्र रास्ता है जो बरसात के दिनों में बंद हो जाता है। इसके अलावा अस्पताल देखने के लिए भी गांव के लोगों की आँखे पथरा गई हैं। छोटी से बड़ी से बीमारी के लिए लोगों को 3 किमी पैदल चलकर इलाज के लिए जाना पड़ता है। गांव की महिलाओं ने बताया कि जब किसी महिला को प्रसव पीड़ा होती है, तब मुसीबत और भी बढ़ जाती है। सड़क सही न होने की वजह से यहाँ एम्बुलेंस तक नही आ पाती।

नेताओं के खोखले वादे

ऐसा भी नही है कि गांव के लोगों ने बिजली, सड़क, अस्पताल के लिए नेताओं से मदद न मांगी हो। लेकिन हर बार कार्यवाही सिर्फ कागजों में सिमट कर रह जाती है। चुनाव के दौरान सांसद सावित्री बाई फूले ने गांव की हर चौखट पर खड़े होकर विकास के सपने दिखाकर वोट मांगे थे। लेकिन चुनाव के बाद गांव का हाल देखने तक नही आईं। गांव की इस समस्या पर जब ग्राम प्रधान हमीद अंसारी से बात की गई तो उन्होंने भी आश्वासन ही दिया। बता दें कि गांव की सुरक्षा के भी कोई बंदोबस्त नही हैं, हर वक्त तेंदुए और जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है।

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