लखनऊ। 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा स्नान के साथ शुरू होने वाले महाकुंभ को लेकर यूपी सरकार ने कमर कस ली है। इस सम्बन्ध में सोमवार को पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने विस्तार से जानकारी दी।
डीजीपी प्रशांत कुमार ने महाकुंभ 2025 की तैयारियों को लेकर कहा कि हम आयोजन को सफल बनाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। कहीं किसी भी तरह की असुविधा न हो लिए इसके लिए सात स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था तैयार की गई है। महाकुंभ हमारे लिए अवसर है। 45 दिनों में करीब 50 करोड़ लोग प्रयागराज आएंगे। इस दौरान कुल छह शाही स्नान होंगे। इतने कम समय दिनों में इतने लोगों का आवागमन हो रहा है। इसके लिए अभेद्य सुरक्षा व्यवस्था तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि कुंभ के लिए हमने डिजिटल वॉरियर बनाए हैं। कॉलेज के विद्यार्थियों को डिजिटल वॉरियर बनाया गया है। भारत सरकार के विभागों की मदद से पूरे साइबर स्पेस पर हमारी नजर रहेगी। यूपी डीजीपी ने कहा कि श्रद्घालु काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, अयोध्या राम मंदिर, विंध्याचल जी कॉरिडोर के में दर्शन के साथ ही संगम स्नान के साथ सभी दर्शन लाभ ले सकते हैं। महाकुंभ की सुरक्षा के लिए करीब 200 करोड़ रुपये के उपकरण खरीदे गए हैं। आयोजन स्थल पर पर्याप्त मैन पावर के साथ ही सीसीटीवी कैमरे, टीदर ड्रोन और एंटी ड्रोन लगाए गए हैं। किसी भी तरह के डिजास्टर, सुरक्षा और लोगों को डूबने से बचाने के लिए भी उपकरणों की खरीद हुई है। इंटर स्टेट और इंटरनेशनल बॉर्डर पर भी सख्त सुरक्षा रहेगी।
डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा, 12 किलोमीटर के घाटों सहित 4000 हेक्टेयर के महाकुंभ क्षेत्र में 50,000 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे। उन्होंने कहा कि बल में एटीएस, एसटीएफ, पीएसी जैसी विशेष राज्य एजेंसियों और एनएसजी, सीएपीएफ जैसी केंद्रीय एजेंसियों के लोग शामिल होंगे। इसके अलावा, नदी मार्ग की सुरक्षा के लिए विशेष अधिकारियों के साथ-साथ नौसेना के कमांडो के साथ ‘जल पुलिस’ की एक बड़ी टुकड़ी तैनात की जा रही है। डीजीपी ने कहा कि सामान्य सीसीटीवी कैमरों के अलावा, जिनकी संख्या 2700 से अधिक है, हमने हवाई निगरानी और ड्रोन रणनीतियों का मुकाबला करने के लिए महाकुंभ क्षेत्र के चारों ओर रणनीतिक बिंदुओं पर कई ड्रोन लगाए हैं।
आपदा तैयारियों के बारे में उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य सहित कई टीमें जमीनी स्तर पर मौजूद रहेंगी और विभिन्न आपदा स्थितियों के लिए 54 एसओपी को अंतिम रूप दिया गया है। जलाशयों और उसके आसपास श्रद्धालुओं की सुरक्षा के बारे में प्रशांत कुमार ने कहा कि गहरे पानी में बैरिकेडिंग, नदी की रेखाएं, जेटी, पानी के नीचे ड्रोन और विशेषज्ञ गोताखोरों को तैनात किया गया है।
उन्होंने कहा, “हम नदी के बीच में संकट में फंसे लोगों की मदद के लिए रोबोटिक बोया भी ला रहे हैं।” जबकि, खोया-पाया के मामलों से निपटने के लिए 10 डिजिटल केंद्र स्थापित किए गए हैं और ऐसे मामलों में लोगों की सहायता के लिए स्थानीय पुलिस भी मौजूद रहेगी। महिला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए तीन महिला थाने, 10 पिंक बूथ और महिला पुलिस बल की एक बड़ी टुकड़ी तैनात की गई है।
मानव तस्करी से निपटने के लिए पहली बार मेला क्षेत्र के तीन क्षेत्रों में तीन मानव तस्करी विरोधी इकाइयां खोली गई हैं, जो ऐसी किसी भी गतिविधि पर कड़ी नजर रखेंगी। भारी भीड़ को संवेदनशीलता के साथ संभालने की तैयारी के बारे में पूछे जाने पर डीजीपी ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस प्रशिक्षण निदेशालय और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज जैसे अन्य संस्थान पुलिस बल को सॉफ्ट स्किल सिखा रहे हैं। इस संबंध में कई कार्यशालाएं आयोजित की गई हैं और जिन पुलिसकर्मियों को तैनात किया जाना है, उनकी परीक्षा भी ली गई है।