बहराइच। भारत- नेपाल सीमा पर आईसीपी और कस्टम के बीच आपसी विवाद के चलते मंगलवार को रुपईडीहा के पास दोनों देशों के बीच आवागमन बंद हो गया है। इससे दोनों देशों के लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उच्चाधिकारियों के हस्तक्षेप पर कस्टम ने वाहनों के आवागमन की अनुमति दी। जिसके बाद सीमा पर फंसे लोगों को राहत मिली।
भारत व नेपाल की सरकारों ने दोनों देशों के व्यापारिक-सामरिक रिश्तों में पारदर्शिता को लेकर अरबों रुपये खर्च कर रुपईडीहा सीमा पर आईसीपी का निर्माण कराया गया है। अब आईसीपी पर ही कस्टम, इमीग्रेशन समेत सभी प्रकार की सुविधाएं मिलेंगी। सभी विभाग आईसीपी में शिफ्ट हो गए हैं लेकिन अभी तक कस्टम विभाग पुरानी जगह ही कायम है। 12 मई को कस्टम ने नेपाल जाने वाली बसों को आईसीपी से होकर जाने के निर्देश दिए लेकिन नेपाल से आने वाली मैत्री बसें पुराने रास्ते से ही आवागमन कर रही हैं। इस पर रोडवेज के एआरएम ने दोनों देशों के बीच करार के नियमों की अनदेखी का हवाला देकर आईसीपी को पत्र भेजा था। मामले का संज्ञान लेकर आईसीपी के अधिकारियों ने एसएसबी के कमांडेंट व कस्टम के अधिकारियों को नियमों के तहत आईसीपी से ही वाहनों का आवागमन करने को कहा। एसएसबी ने नेपाल से आ रही बसों को सीमा पर रोक दिया। जिसके बाद कस्टम के अधिकारी व कर्मचारी भी पहुंच गए। इस पर एसएसबी ने बिना जांच के वाहनों को रोके रखा।
कस्टम सुपरिटेंडेंट दिनेश धनीजा ने बताया कि एडिशनल कमिश्नर अजय कुमार मिश्र की ओर से नौ मई को जारी आदेश में सिर्फ मालवाही वाहन को ही आईसीपी से अवागमन के निर्देश दिए गए हैं। इस पर आईसीपी के अधिकारियों ने कहा कि रोडवेज बसों को फिर आईसीपी से क्यों भेजा जा रहा है। दोनों विभाग के अधिकारियों के बीच लगभग तीन घंटे तक बहस हुई। इस दौरान वाहनों का आवागमन ठप रहा। वाहनों पर सवार यात्री पैदल ही सीमा पार कर आवागमन को विवश हुए।
नियमों की अनदेखी कर रहे कस्टम के अधिकारी
आईसीपी के प्रभारी मैनेजर बीएस सिसोदिया ने बताया कि भारत सरकार ने लगभग साढ़े तीन अरब लगाकर भारत- नेपाल में दोनों ओर आमने- सामने यात्रियों व मालवाही वाहनों की सुविधा के लिए इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट का निर्माण कराया। रुपईडीहा कस्टम अपनी हठवादिता के कारण मैत्री सेवा की नेपाली बसों को पुराने मार्ग से भेजना चाहता है। इस पर कस्टम के अधिकारी कोई जवाब नहीं दे रहे हैं। आईसीपी पर खुली जगह है। यात्रियों की बैठने की सुविधाएं व वाशरूम हैं।
आईसीपी में विभागों के कार्यालय आवंटित
सीपीओ अभिमन्यु मिश्र ने बताया कि कार्यालय आईसीपी में शिफ्ट हो गया है। ये बसें पुराने रूट से जाएंगी तो हम यात्रियों की जांच कैसे कर पाएंगे। इसलिए इन बसों को आईसीपी होकर ही आना -जाना चाहिए। कस्टम विभाग अभी तक आईसीपी में शिफ्ट नहीं हुआ है। इसको लेकर उच्चाधिकारियों को भी रिपोर्ट भेजी गई है।
वहीं एआरएम रुपईडीहा रोडवेज डिपो राम प्रसाद ने बताया कि मैत्री सेवा के नाम पर नेपाल की ओर से दिल्ली, हरिद्वार व लखनऊ मिलाकर लगभग 10 बसें नेपाली चल रही हैं। रुपईडीहा डिपो की मात्र पांच बसों का ही संचालन हो पा रहा है। करार के हिसाब से जितनी नेपाली बसें आएं उतनी हमारी भी चलें जिससे उत्तर प्रदेश सरकार का राजस्व बढ़ सके। कभी पर्यटन के नाम पर कभी यात्री बस के नाम पर नेपाली बसें चल रही हैं। इस पर अंकुश लगाना होगा। नेपाली बसें दिल्ली, हरिद्वार व लखनऊ तक भारतीय क्षेत्रों में आवागमन कर रही हैं। रोडवेज बसें सिर्फ नेपालगंज तक ही पहुंच पा रही हैं।