लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सीबीआई की ओर से रेत के अवैध खनन मामले में नोटिस जारी किया गया है। नोटिस में सीबीआई ने उन्हें 2019 में दर्ज मामले के संबंध में 29 फरवरी को पेश होने के लिए कहा है। इस पर अखिलेश यादव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सबसे ज्यादा निशाने पर सपा है और चुनावों के नजदीक आने के साथ ही नोटिस भी आते हैं।
अवैध मौरंग खनन मामले में सीबीआई ने वर्ष 2016 में कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज किया था। जिसमें हमीरपुर की पूर्व जिलाधिकारी आईएएस बी चंद्रकला, पूर्व सपा एमएलसी रमेश मिश्रा, उनके भाई दिनेश मिश्रा, अशोक सचान, पूर्व खनन अधिकारी मुईनउद्दीन, संजय दीक्षित, सत्यदेव दीक्षित, राम औतार, आदिल खान, अंबिका तिवारी उर्फ बबलू समेत 11 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। आरोप है कि 2012-16 के दौरान, जब यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तो लोकसेवकों ने अवैध खनन की अनुमति दी और खनन पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बावजूद अवैध रूप से लाइसेंस का नवीनीकरण किया गया। यह भी आरोप है कि अधिकारियों ने खनिजों की चोरी होने दी, पट्टाधारकों और चालकों से पैसे वसूले। खनिजों के अवैध खनन के मामले की जांच के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर सीबीआई ने 2016 में सात प्रारंभिक मामले दर्ज किए थे। अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यालय ने एक ही दिन में 13 परियोजनाओं को मंजूरी दी थी। उस वक्त उनके पास खनन विभाग भी था।
उन्होंने आरोप लगाया था कि अखिलेश यादव ने ई-निविदा प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए 14 पट्टों को मंजूरी दी थी, जिनमें से 13 को 17 फरवरी 2013 को मंजूरी दी गई थी।सीबीआई ने दावा किया कि 17 फरवरी, 2013 को 2012 की ई-निविदा नीति का उल्लंघन करते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद, हमीरपुर की जिलाधिकारी बी. चंद्रकला द्वारा पट्टे दिए गए थे। एजेंसी ने 2012-16 के दौरान हमीरपुर जिले में खनिजों के कथित अवैध खनन की जांच के सिलसिले में आईएएस अधिकारी बी चंद्रकला, समाजवादी पार्टी (सपा) के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) रमेश कुमार मिश्रा और संजय दीक्षित (जिन्होंने बसपा के टिकट पर 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा था) सहित 11 लोगों के खिलाफ अपनी प्राथमिकी के संबंध में जनवरी 2019 में 14 स्थानों पर तलाशी ली थी।
प्राथमिकी के अनुसार, यादव 2012 और 2017 के बीच राज्य के मुख्यमंत्री थे और 2012-13 के दौरान खनन विभाग उनके पास था जिससे जाहिर तौर पर उनकी भूमिका संदेह के घेरे में आ गई। साल 2013 में उनकी जगह गायत्री प्रजापति ने खनन मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था जिन्हें चित्रकूट निवासी एक महिला द्वारा बलात्कार का आरोप लगाए जाने के बाद 2017 में गिरफ्तार कर लिया गया था।
2019 में भी चुनाव के समय नोटिस आया था
अखिलेश यादव ने लखनऊ में एक निजी समाचार चैनल के कार्यक्रम में इस पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सपा सबसे ज्यादा निशाने पर है। साल 2019 में भी मुझे किसी मामले में नोटिस मिला था, क्योंकि तब भी लोकसभा चुनाव था। उन्होंने कहा कि अब जब चुनाव आ रहा है तो मुझे फिर से नोटिस मिल रहा है। मैं समझता हूं कि जब चुनाव आएगा तो नोटिस भी आएगा। यह घबराहट क्यों है? अगर पिछले 10 वर्षों में आपने (भाजपा ने) बहुत काम किया है तो फिर आप क्यों घबराए हुए हैं?