वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने वाराणसी दौरे के दूसरे दिन सोमवार को 180 फीट ऊंचे सात मंजिला स्वर्वेद महामंदिर के प्रथम तल का रिमोट से बटन दबाकर उद्घाटन कर श्रद्धालुओं एवं देशवासियों को समर्पित किया। इस मंदिर में 20 हजार लोग एक साथ योग और ध्यान कर सकते हैं।
स्वर्वेद महामंदिर के उद्घाटन के बाद जन सैलाब को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हर बार की तरह इस बार का भी काशी प्रवास सुखद रहा। उन्होंने कहा कि विरासत और विकास की पटरी पर आज भारत तेज गति से आगे बढ़ रहा है। काशी में स्वर्वेद मंदिर के लोकार्पण में शामिल होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि इस पावन अवसर पर यहां 25 हज़ार कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ का आयोजन हो रहा है। मुझे खुशी और विश्वास है कि इस महायज्ञ की हर एक आहूति से विकसित भारत का संकल्प और सशक्त होगा। उन्होने कहा कि संतों के सानिध्य में काशी के लोगों ने मिलकर विकास और नवनिर्माण के कितने ही नए कीर्तिमान गढ़े हैं। सरकार, समाज और संतगण सब साथ मिलकर काशी के कायाकल्प के लिए कार्य कर रहे हैं। आज स्वर्वेद मंदिर बनकर तैयार होना, इसी ईश्वरीय प्रेरणा का उदाहरण है।
पीएम मोदी ने कहा कि महामंदिर महृषि सदाफल देव जी की शिक्षाओं और उनके उपदेशों का प्रतीक है। इस मंदिर की दिव्यता जितना आकर्षित करती है, इसकी भव्यता हमे उतना ही अचंभित भी करती है। स्वर्वेद मंदिर भारत के सामाजिक और आध्यात्मिक सामर्थ्य का एक आधुनिक प्रतीक है। इसकी दीवारों पर स्वर्वेद को बड़ी सुंदरता के साथ अंकित किया गया है। वेद, उपनिषद, रामायण, गीता और महाभारत आदि ग्रन्थों के दिव्य संदेश भी इसमें चित्रों के जरिये उकेरे गए हैं। इसलिए ये मंदिर एक तरह से अध्यात्म, इतिहास और संस्कृति का जीवंत उदाहरण है। भारत ने कभी भौतिक उन्नति को भौगोलिक विस्तार और शोषण का माध्यम नहीं बनने दिया। भौतिक प्रगति के लिए भी हमने आध्यात्मिक और मानवीय प्रतीकों की रचना की। हमने काशी जैसे जीवंत सांस्कृतिक केंद्रों का आशीर्वाद लिया।
वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जब एक संत की साधना मुहूर्त रूप लेता है, तो इस प्रकार का एक धाम बनकर तैयार होता है। सद्गुरु सदाफल देव जी महाराज जिन्होंने देश की आजादी के लिए संघर्ष किया था, जिन्होंने उत्तराखंड के गढ़ आश्रम के शून्य शिखर पर साधनारत होकर आध्यात्मिक जगत की अनुभूतियों के माध्यम से भारत की आध्यात्मिक ज्ञान के परंपरा को वेद, उपनिषदों के उसे परंपरा को बहुत ही सरल व सहज भाषा में अपने अनुयायियों व भक्तों के लिए सर्व वेद के माध्यम से प्रस्तुत किया, आज उसका मूर्त रूप सबको देखने को मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम आज नए भारत की अनुभूति कर रहे हैं।
मंदिर की ये है खासियत
स्वर्वेद मंदिर के निर्माण की शुरुआत वर्ष 2004 में हुई थी। पिछले 19 वर्षों में इस मंदिर को आकार दिया गया। 200 एकड़ परिसर में यह मंदिर फैला हुआ है। इस मंदिर की दीवारों पर स्वर्वेद के 4000 दोहे अंकित किए गए हैं। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां पर भगवान की नहीं, योग- साधना की पूजा होती है। मंदिर की दीवारों पर अद्भुत नक्काशी की गई है। पीएम नरेंद्र मोदी ने इस मंदिर के पहले चरण का लोकार्पण किया। पीएम मोदी इससे पहल मंदिर में वर्ष 2021 में भी आए थे। इसी दौरान उन्होंने इस मंदिर के लोकार्पण का निमंत्रण स्वीकार किया था। स्वर्वेद महामंदिर के लोकार्पण के साथ ही संत सदाफल महाराज की 135 फीट ऊंची प्रतिमा का शिलान्यास भी पीएम ने किया।
4000 दोहे किए गए हैं दीवारों पर अंकित
मंदिर सभी तलों पर अंदर की दीवार पर लगभग 4000 स्वर्वेद के दोहे लिखे हैं। बाहरी दीवार पर 138 प्रसंग वेद उपनिषद, महाभारत, रामायण, गीता आदि के प्रसंग पर चित्र बनाए गए हैं, ताकि लोग उससे प्रेरणा लें सकें। विहंगम योग संत समाज का 100वां वार्षिकोत्सव रविवार से शुरू हुआ। इस मौके पर 25,000 कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ का अयोजन किया गया है। इसमें लाखों साधक एवं साधिकाएं सभी के कल्याण की कामना के साथ वेदध्वनि के बीच आहुतियां दे रहे हैं। महामंदिर में बहुत सारे कार्य अभी होने बाकी हैं।