वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर में ASI ने सर्वे की रिपोर्ट जिला अदालत में पेश कर दी है। ASI ने सफेद कपड़े में लपेटकर सीलबंद रिपोर्ट पेश की है। 24 जुलाई को सर्वे का काम शुरू किया था, अब इस मामले पर अगली सुनवाई 21 दिसंबर को होगी।
एएसआई ने वाराणसी जिला न्यायाधीश एके विश्वेश के समक्ष रिपोर्ट सौंपी है। हिंदू पक्ष के वकील ने सुनवाई के दौरान कहा कि रिपोर्ट सार्वजनिक की जाये, हिंदू पक्ष ने इसमें शामिल सभी पक्षों को रिपोर्ट की प्रतियां उपलब्ध कराने के लिए निर्देश देने की मांग की। वहीं मुस्लिम पक्ष इसका विरोध कर रहा है। मुस्लिम पक्ष कह रहा है कि इसे पब्लिक डोमेन में न लाया जाए। इस पर अब 21 दिसंबर को फैसला आयेगा। रिपोर्ट पेश करने से पहले मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में आवेदन देकर की थी। मांग की थी कि वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में हुए सर्वे की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में एएसआई पेश करे। साथ ही कहा है कि बगैर हलफनामे के किसी को भी रिपोर्ट सार्वजनिक करने की इजाजत न दी जाए।
बीते 11 दिसंबर को एएसआई की ओर से कहा गया था कि सुपरिटेंडिंग आर्कियोलॉजिस्ट अविनाश मोहंती का ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ने और तबीयत खराब होने की वजह से वह अदालत में पेश होकर रिपोर्ट दाखिल कर पाने में असमर्थ हैं। इसलिए रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय और दिया जाए। इस पर जिला जज की अदालत ने एक हफ्ते की मोहलत और देते हुए रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 18 दिसंबर की तिथि नियत की थी।
कोर्ट के आदेश पर हुआ था सर्वे
वाराणसी कोर्ट ने 21 जुलाई को ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराने का आदेश दिया था। इस आदेश में 3 अगस्त तक जांच पूरी कर एएसआई को सर्वे रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया गया था। हालांकि मुस्लिम पक्ष के सुप्रीम कोर्ट का रुख करने के बाद सर्वे का काम रोकना पड़ा। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक बार फिर सर्वे का काम शुरू किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने सील किए गए वजूखाना क्षेत्र को छोड़कर परिसर के सर्वे का आदेश जारी कर दिया। सर्वे के काम में एएसआई के अलावा पुरातत्वविद्, रसायनशास्त्री, भाषा विशेषज्ञों, सर्वेयर के अलावा आईआईटी की भी मदद ली गई। सर्वे में आधुनिक तकनीक का भी इस्तेमाल किया गया।