सोनभद्र। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में बीजेपी विधायक को नाबालिग के दुष्कर्म मामले में दोषी करार दिया गया है। बीजेपी विधायक रामदुलार गोंड पर 2014 में प्रधान पति रहते हुए नाबालिग से दुष्कर्म का आरोप लगा था। इस मामले में एमपी एमएलए कोर्ट ने दोषी करार दिया है। विधायक को अब 15 दिसंबर को सजा सुनाई जाएगी।
म्योरपुर थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी शख्स ने रामदुलार गोंड पर नाबालिग बहन से प्रधान पति रहते रेप का मुकदमा दर्ज करवाया था। पीड़िता के भाई के अनुसार 4 नवंबर 2014 को शाम 7 बजे उसकी बहन रोती हुई घर आई थी। परिजनों ने जब रोने की वजह पूछी तो काफी देर बाद उसने बताया कि रामदुलार गौड़ ने उसका बलात्कार किया है। इसके बाद पीड़िता के परिजनों ने थाने में गौड़ के खिलाफ तहरीर दी थी। जिस समय यह घटना हुई तब रामदुलार की पत्नी गांव की प्रधान थीं, रामदुलार विधायक नहीं थे। मामले में पॉक्सो कोर्ट में ट्रायल चल रहा था। इसके बाद रामदुलार जब दुद्धी सीट से विधायक चुने गए तो पत्रावली MP/MLA कोर्ट ट्रांसफर कर दी गई। इस कोर्ट में भी बहस नवंबर में ही पूरी कर ली गई थी, मगर बाद में पीठासीन अधिकारी के तबादले के चलते फैसला नहीं आ सका था। नए पीठासीन अधिकारी एहसानुल्लाह खां के पदभार ग्रहण करने के बाद विभिन्न तिथियों के बाद शुक्रवार को बहस पूरी हुई।
पॉक्सो से बचने के लिए डॉक्यूमेंट से की छेड़छाड़
पीडिता के वकील के मुताबिक विधायक बनने के बाद अपने पद का दुरुपयोग करते हुए रामदुलार ने पीड़िता के डॉक्यूमेंट में छेड़छाड़ की। एक प्राइवेट स्कूल से पीड़िता की फेक मार्कशीट बनवा दी। इसमें उसकी डेट ऑफ बर्थ में हेरफेर की गई। ताकि यह दिखाया जा सके कि पीड़िता बालिग है और वह पॉक्सो से बच सके। लेकिन कोर्ट में हमने प्रोटेस्ट किया। जिस स्कूल में लड़की पढ़ी थी, वहां के ओरिजनल दस्तावेज और स्कूल के प्रिंसिपल की गवाही करवाई गई।’
कितनी हो सकती है सजा?
इस मामले में राम दुलार गोंड को कम से काम 20 साल की सजा दिए जाने की मांग की है। रामदुलार सिंह गौड़ के खिलाफ पुलिस ने आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार), 506 (आपराधिक धमकी के लिए सजा) और पॉस्को एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया। पॉक्सो यानी प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट को साल 2012 में लाया गया था। पहले इस कानून में मौत की सजा का प्रावधान नहीं था हालांकि 209 में इस कानून में संशोधन कर मौत की सजा का भी प्रावधान कर दिया।