वाराणसी। यूपी के वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद में हो रहे एएसआई सर्वे के मीडिया कवरेज पर जिला जज ने पूरी तरह रोक लगा दी है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि एएसआई, वादी पक्ष और प्रतिवादी पक्ष के द्वारा कोई जानकारी न दिए जाने के बावजूद बगैर औपचारिक सूचना के सर्वे के संबंध में प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया गलत प्रकार से कोई समाचार प्रकाशित करता है तो उसके खिलाफ विधि के अनुसार आवश्यक कार्रवाई की जा सकती है।
अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने अदालत में आवेदन देकर ज्ञानवापी सर्वे के संबंध में मीडिया कवरेज पर रोक लगाने की मांग की थी। मसाजिद कमेटी का कहना था कि सर्वे को लेकर तथ्यों के विपरीत रिपोर्टिंग की जा रही है। मसाजिद कमेटी के आवेदन पत्र पर जिला जज की अदालत में बुधवार को बहस हुई। इसके बाद अदालत ने आदेश के लिए पत्रावली सुरक्षित रख ली थी। गुरुवार को जिला जज की अदालत ने अपना आदेश सुना कर आवेदन पत्र का निस्तारण किया। साथ ही, दो अन्य आवेदन पत्रों के निस्तारण के लिए सुनवाई की अगली तिथि 17 अगस्त तय की।
अदालत ने हिन्दू और मुस्लिम पक्ष के साथ ही डीजीसी और अन्य अधिकारियों को आदेश दिया है कि सर्वे से संबंधित कोई भी बयान या जानकारी कोर्ट के अलावा किसी को नहीं देंगे। इसके साथ ही मीडिया को भी हिदायत दी कि बगैर औपचारिक सूचना के सर्वे के सम्बन्ध में कोई समाचार प्रकाशित या प्रसारित किया तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।
कोर्ट ने अपना आदेश सुनाते हुए कहा कि एएसआई सर्वे न्यायालय के आदेश पर चल रहा है। उसकी प्रकृति संवेदनशील है। सर्वे के बारे में ASI, वादीगण के अधिवक्तागण अथवा प्रतिवादीगण के अधिवक्तागण को कोई टिप्पणी करने और कोई सूचना देने का कोई अधिकार नहीं है। ASI के अधिकारी भी सर्वे की रिपोर्ट केवल न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए बाध्य हैं।
अदालत ने कहा कि सर्वे के सम्बन्ध में कोई सूचना प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया या इलेक्ट्रानिक मीडिया को दिया जाना न तो औचित्यपूर्ण है और न ही विधि सम्मत है। कोर्ट ने सर्वे में लगे ASI के अधिकारियों को आदेश दिया कि किसी भी प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया या इलेक्ट्रानिक मीडिया को कोई जानकारी नहीं देंगे। अदालत ने कहा कि न ही सर्वे के सम्बन्ध में कोई जानकारी किसी अन्य व्यक्ति से साझा करेंगे। कहा कि वह अपनी आख्या केवल न्यायालय में प्रस्तुत करेंगे।
अदालत ने इसी प्रकार वादीगण और प्रतिवादीगण और उनके अधिवक्तागण, जिला शासकीय अधिवक्ता, दीवानी और अन्य अधिकारियों को आदेश दिया कि सर्वे के सम्बन्ध में कोई जानकारी किसी प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया या इलेक्ट्रानिक मीडिया के साथ साझा नहीं करेंगे। न ही उसका प्रचार-प्रसार करेंगें।
अदालत ने यह भी कहा कि यदि प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया या इलेक्ट्रानिक मीडिया पर ASI, वादी या प्रतिवादी पक्ष के द्वारा कोई जानकारी न दिये जाने के बावजूद गलत प्रकार से बगैर औपचारिक सूचना के सर्वे के सम्बन्ध में कोई समाचार प्रकाशित किया गया तो सख्त कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।