लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को यूपी बोर्ड, सीबीएसई और अन्य बोर्डों के मेधावी छात्रों को सम्मानित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि कभी-कभी परीक्षा में इतने कठिन सवाल पूछ लिए जाते हैं जिनके जवाब परीक्षक को ही पता न हों। ऐसे कठिन सवाल पूछने से क्या फायदा? परीक्षा का मतलब छात्र-छात्रों को परेशान करना नहीं हो सकता। परीक्षा में एक सामान्य प्रकृति के प्रश्न होने चाहिए
मुख्यमंत्री ने बुधवार को लोकभवन में आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न बोर्ड के कक्षा 10 और 12 के मेधावी छात्र छात्राओं को सम्मानित किया। सीएम योगी ने बोर्ड परीक्षा में प्रदेश की मेरिट में आए छात्र-छात्राओं को एक लाख रुपए का चेक, टैबलेट आदि देकर सम्मानित किया। जनपद की मेरिट सूची में आए मेधावियों काे भी जिला स्तर पर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में 1,745 मेधावियों को सम्मानित किया गया। इसके साथ ही उन्हें टैबलेट भी दिए गए। इस मौके पर 18 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के भवनों और 125 विज्ञान प्रयोगशालाओं का लोकार्पण भी सीएम योगी ने किया।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि कहा कि 6 वर्ष पहले उत्तर प्रदेश बोर्ड परीक्षाओं में नकल के लिए बदनाम था। पूरा साल परीक्षा और परिणाम में ही निकलता था। सरकार बनते ही मैंने लक्ष्य दिया कि एक माह में परीक्षा और परिणाम दोनों आने चाहिए। इस पर 15 दिन के भीतर परीक्षा हुई और 14 दिन के भीतर परिणाम घोषित किया गया। पारदर्शिता से परीक्षा कराई गई। यही रिफार्म है। अब सत्र समय से चलेगा। हमने सामान्य प्रश्न पत्र बनवाया। ऐसा नहीं कि उसे शिक्षक भी हल न कर सकें। नकल पर छात्रों की बजाय कालेज प्रबंधकों, अधिकारियों पर कार्रवाई की। एक डीआईओएस को जेल में डालना पड़ा। इसका परिणाम रहा कि मेहनती छात्रों की मेहनत रंग लाई।
उन्होंने कहा हमने 1,62,000 शिक्षकों की नियुक्ति की। कहा कि जब तक शिक्षक रखे जाएं संविदा वाले शिक्षकों को न हटाया जाए। 132000 प्राथमिक विद्यालय ऑपरेशन कायाकल्प में बदले। यही जन सहभागिता माध्यमिक शिक्षा विभाग भी कराए। पुरातन छात्रों के सम्मेलन के माध्यम से जन सहभागिता की जाए। मातृभूमि योजना की तरह यहां भी प्रयोग हो। कोई लाइब्रेरी बनवा सकता है तो कोई स्मार्ट क्लास। हम दो करोड़ युवाओं को टेबलेट दे रहे हैं, ताकि ये तकनीक से जुड़ सकें। उन्हें सरकार की योजनाओं का पता चले। इस बार अभ्युदय कोचिंग में 23 बच्चे आईएएस में 98 बच्चे पीसीएस में चुने गए। हमने भेदभाव नहीं किया। यूपी बोर्ड के साथ-साथ सभी बोर्ड के बच्चों को पुरस्कृत किया है, क्योंकि यूपी में पढ़ने वाला हर बोर्ड का बच्चा उत्तर प्रदेश की प्रतिभा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक नया अवसर है उसका लाभ सभी को उठाना चाहिए। सभी बोर्ड अपने आप को तैयार करें और प्रतियोगिताओं के लिए बच्चों को मार्गदर्शन दें। बच्चों को प्रधानमंत्री की लिखी पुस्तक एग्जाम वॉरियर बांटे ताकि सभी को उसका लाभ मिल सके।
सीएम योगी ने कहा कि परीक्षा का मतलब छात्र छात्राओं को परेशान करना नहीं होता है। यह उनके सामान्य मूल्यांकन का आधार होता है। हमारी सबसे पहली शर्त नकलविहीन परीक्षा की थी सीएम ने कहा कि प्रश्न पत्र इतना कठिन नहीं होना चाहिए कि परीक्षक को स्वयं उत्तर ना आता हो। प्रश्न हमेशा समान प्रकृति के होने चाहिए। धीरे धीरे शुरुआत हुआ नकल बंद होती गई। उन्होंने कहा कि मैंने पहले ही दिन कहा था कि अगर नकल कही सामूहिक रूप से हो रही है तो सेंटर डिबार होगा, लेकिन हम छात्रों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेंगे। विद्यालय प्रबंधक, प्रिंसिपल, जिला विद्यालय निरीक्षक इसके लिए जिम्मेदार होंगे। इसी के तहत एक जिला विद्यालय निरीक्षक को जेल भेजना पड़ा था।
इस मौके पर माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी, परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह, बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह, मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र आदि मौजूद थे।