बहराइच। जंगलों में लगने वाली आग पर काबू पाने के लिए अग्नि प्रबंधन योजना के तहत कतर्नियाघाट वन प्रभाग को एक वाटर टैंक मिला है। आग लगने पर वन्यजीवों की सुरक्षा के साथ उनके प्यास बुझाने के लिए छोट-छोटे तालाबों को भरने में भी मदद मिल सकेगी।
कतर्नियाघाट जंगल 551 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। जंगल में सबसे अधिक समस्या आग लगने पर होती है। घटने वाली आग की घटनाओं पर काबू पाने व रोकथाम के लिए वन विभाग ने अग्नि प्रबंधन योजना की क़वायद तेज कर दी है। इस योजना के तहत कतर्नियाघाट में वाटर टैंक की उपलब्धता काफी इंतजार के बाद पूरी हो गयी है। वन विभाग ने कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग के विभिन्न रेंज के जंगलों में लगने वाली आग की घटना पर काबू पाने के लिए वाटर टैंक की कमी को पूरा कर लिया है।
डीएफओ आकाशदीप बधावन ने बताया कि फायर सीजन में जंगलों में अक्सर आग की घटनाएं होती हैं। इसमें कीमती पेड़ों और वनस्पतियों संग वन्य जीवों के लिए खतरा पैदा होता है। नया वाटर टैंक मिला है। अब जंगलों में लगने वाली आग पर वन विभाग फौरन काबू पाने में सफल रहेगा। डीएफओ ने बताया कि वाटर टैंक के संचालन के लिए वन कर्मियों की एक टीम भी गठित की जाएगी।