वाराणसी। वाराणसी की सिविल कोर्ट ने गुरुवार को ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े एक मामले में मुस्लिम पक्ष की आपत्ति को खारिज कर दिया है। ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंपने, पूजा का अधिकार देने और मुस्लिम पक्ष का प्रवेश रोकने की मांग करने वाली याचिका अदालत ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली है। अब मामले की अगली सुनवाई दो दिसंबर को होगी।
सिविल जज (सीनियर डिविजन) फास्ट ट्रैक कोर्ट महेंद्र कुमार पांडेय की अदालत में विश्व वैदिक सनातन संघ की कार्यकारी अध्यक्ष किरण सिंह ने याचिका दायर की थी। इस प्रकरण में वादिनी किरन सिंह की तरफ से मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित करने, परिसर हिंदुओं को सौंपने और शिवलिंग की पूजा पाठ की अनुमति मांगी गई थी। इस पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने आपत्ति दाखिल की थी। कमेटी ने कहा था कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। अब इस मामले को कोर्ट ने सुनवाई योग्य माना है।
वादिनी किरन सिंह के अधिवक्ताओं ने दलील में कहा था कि वाद सुनवाई योग्य है या नहीं, इस मुद्दे पर अंजुमन इंतजामिया की तरफ से जो आपत्ति उठाई गई है, वह साक्ष्य व ट्रायल का विषय है। ज्ञानवापी का गुंबद छोड़कर सब कुछ मंदिर का है जब ट्रायल होगा तभी पता चलेगा कि वह मस्जिद है या मंदिर।
विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन का कहना है कि उनकी देखरेख में ज्ञानवापी से संबंधित 6 मुकदमे लड़े जा रहे हैं। उन्हें आशंका है कि कुछ लोगों की साजिश से सभी उनकी देखरेख वाले सभी मुकदमे खत्म हो जाएंगे। काशीवासियों को सावधान होने की जरूरत है। ज्ञानवापी को बेचने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। यदि साजिश को अभी काशी के लोग नहीं समझ पाएंगे तो आगे कभी नहीं समझ पाएंगे।
वहीं हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु जैन के अनुसार यह बहुत बड़ी सफलता है। हमारा केस पहले से बहुत मजबूत है।यहां पर भी 1991 का कानून लागू होता ही नहीं है। हिंदु पक्ष अब दो दिसंबर को ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की पूजा का अधिकार मांगेगा और परिसर का एक और सर्वे की मांग करेगा।