सतंकबीर नगर। उत्तर प्रदेश के सतंकबीर नगर में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। कागज में मर चुके एक वृद्ध कई साल से अपने को जिंदा बताने के लिए न्यायालय में दौड़ता रहा जिस दिन फैसला होना था उस उसने न्यायालय में ही दम तोड़ दिया।
धनघटा तहसील क्षेत्र के कोड़रा गांव निवासी 90 वर्षीय फेरई पुत्र बालकिशुन की वर्ष 2016 में मृत्यु हो गयी थी लेकिन तहसील कर्मियों ने फेरई की जगह उनके छोटे भाई खेलई को मृतक दर्शा दिया। इसके बाद खेलई की संपत्ति का वरासत फेरई की पत्नी सोमारी देवी, उनके बेटे छोटेलाल, चालूराम और हरकनाथ के नाम से कर दिया। इसकी जानकारी जब खेलई को हुई तो वह अवाक हो गये। तभी से वह एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार के पास प्रार्थना पत्र देकर खुद के जिंदा होने का सबूत दे रहे थे।
इसी बीच गांव में चकबंदी की प्रक्रिया शुरू हो गयी। उसके बाद वह चकबंदी न्यायालय में वाद दाखिल किये। वहां भी उनकी संपत्ति उनके नाम से नहीं हो पायी। चकबंदी अधिकारी ने बुधवार को उन्हें बयान देने के लिए तहसील में बुलाया। इस पर खेलई के साथ उनके बेटे हीरालाल पहुंचे। अधिकारियों, कर्मचारियों की लापरवाही की मार झेल रहे खेलई की अचानक तबीयत बिगड़ गयी। चकबंदी न्यायालय के पास दिन में करीब ग्यारह बजे उनकी मृत्यु हो गयी।
बेटे हीरालाल ने आंसू पोछते हुए कहा कि उनके पिता अपनी संपत्ति को पाने के लिए छह साल से तहसील का चक्कर काटते रहे लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिला। सदमे के चलते उनकी मृत्यु हो गयी। वहीं एसडीएम रवींद्र कुमार ने का कहना है कि जीवित होने के बाद भी खेलई का मृत्यु प्रमाण पत्र कैसे बना और कैसे दूसरे के नाम से वरासत हुआ। इन सभी बिंदुओं की जांच करायी जाएगी। इस खेल में जो भी शामिल होगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। इस घटना की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी गई है।