बहराइच। चौधरी चरण सिंह गिरिजा बैराज के गेट संख्या एक पर मिली डाल्फिन के शव का पोस्टमार्टम हो गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गले मे कैट फिश फंसने के बाद दम घुटने से मौत की पुष्टि हुई है। पोस्टमार्टम के बाद शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग के कतर्नियाघाट रेंज अंतर्गत चौधरी चरण सिंह गिरिजा बैराज के गेट संख्या एक पर डॉल्फिन उतराता दिखाई पड़ा था। राहगीरों की नजर बैराज पर उतराते हुए डॉल्फिन पर पड़ी तो लोगों ने इसकी सूचना तत्काल वन विभाग को दी। सूचना पर डीएफओ आकाशदीप बधावन समेत अन्य कर्मचारी मौके पर पहुंचे थे। डॉल्फिन के गले, नाक व मुंह से खून निकला पाया गया था।
डॉल्फिन के पोस्टमॉर्टम के लिए तीन डॉक्टरों का पैनल बनाया गया। एक डॉक्टर टर्टल सर्वाइवल एलाइन्स से बुलाए गए व एक डॉक्टर दुधवा से तथा एक स्थानीय पशु चिकित्सक को बुलाया गया। तीनों डॉक्टरों के पैनल ने सामूहिक निर्णय के बाद बताया कि गले में कैट फिश फंसने के बाद दम घुटने से मौत की पुष्टि हुई। उसकी उम्र लगभग 10 साल थी। पोस्टमार्टम के लिए अंतिम संस्कार कर दिया गया।
बता दें कतर्नियाघाट में बहने वाली गेरूआ नदी में पांच साल पहले हुई डॉल्फिन की गणना के अनुसार इनकी संख्या 56 है। वहीं गंगा नदी व उसकी सहायक नदियों में मिलाकर भारत में इनकी कुल संख्या मात्र 3500 है। विशेषज्ञों के अनुसार गंगेज़ डॉल्फिन काफी शर्मीली होती हैं। यह देख नहीं सकतीं इसलिए ध्वनि से ही शिकार करती हैं।