वाराणसी। ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन के मामले पर जिला जज अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर हिंदुओ के पक्ष में फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि मामला सुनने योग्य है। मस्जिद पक्ष ने दलील दी थी कि श्रृंगार गौरी में पूजा करने की याचिका 1991 के पूजा स्थल कानून के खिलाफ है।
जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेस मुस्लिम पक्ष के रूल 7 नियम 11 के आवेदन को खारिज किया। मुख्य रूप से उठाए गए तीन बिंदुओं- प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, काशी विश्वनाथ ट्रस्ट और वक्फ बोर्ड से इस वाद को बाधित नहीं माना और श्रृंगार गौरी वाद सुनवाई योग्य माना। जिला जज ने 26 पेज के आदेश का निष्कर्ष लगभग 10 मिनट में पढ़ा। इस दौरान सभी पक्षकार मौजूद रहे।
इस फैसले के बाद हिंदू पक्ष में खुशी की लहर फैल गई है। । जज ने जैसे ही आदेश दिया, हर-हर महादेव के नारे लगने लगे। अदालत के फैसले से पहले ज्ञानवापी परिसर और धाम क्षेत्र की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। काशी विश्वनाथ धाम के गेट नंबर चार (बांसफाटक) पर कमांडों को तैनात किया गया है। संवेदनशील इलाकों में ब्रज वाहन के साथ ही पुलिस और पीएसी कर्मियों को तैनात किया गया है।
एक नजर में पूरा मामला
18 अगस्त 2021 को श्रृंगार गौरी नियमित दर्शन पूजन का मामला राखी सिंह और अन्य चार महिलाओं द्वारा वाराणसी के अदालत में दायर किया गया था। इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष के अंजुमन इंतजाम या कमेटी के वकील सुप्रीम कोर्ट तक गए थे। तत्कालीन सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी का सर्वे कराने का आदेश दिया था। कमीशन की कार्यवाही के खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी और मामले की पोषणीयता पर सवाल उठाए थे।
16 मई 2022 को सर्वे की कार्यवाही के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 23 मई 2022 से इस मामले में जिला कोर्ट में सुनवाई चल रही है। जून के आखिरी हफ्ते से लगातार इस मामले पर हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष के वकीलों द्वारा दलीलें पेश की जा रही थीं। सोमवार को अदालत ने हिंदू पक्ष के हक में फैसला सुनाया।
हिंदू पक्ष के दावे के मुताबिक 1993 से पहले तक मस्जिद के कुछ हिस्सों में हिंदू रीति रिवाज के मुताबिक पूजा होती थी और इस ज्ञानवापी मस्जिद का पूरा ढांचा मंदिर को तोड़कर बनाया गया है। दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष लगातार इस बात पर जोर देता रहा है कि 1947 के बाद किसी धार्मिक स्थल के चरित्र को बदला नहीं जा सकता। साथ ही साथ 1991 के विशेष उपासना स्थल कानून के तहत कमीशन की कार्यवाही भी गलत है। अब जिला जज के फैसले से हिंदू पक्ष के दावों पर मुहर लगी है।
श्रृंगार गौरी नियमित दर्शन का मामला अब आगे चलेगा। फैसले के खिलाफ एक पक्ष ऊपरी अदालत का रुख करेगा। जिला जज की अदालत में अगली सुनवाई 22 सिंतबर को होगी।