हमीरपुर। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर की जिला मजिस्ट्रेट कोर्ट में मजिस्ट्रेट डॉ. चंद्र भूषण ने शुक्रवार को संस्कृत में फैसला सुनाया। फैसले की कॉपी चार पेज में लिखी गई है। जिला मजिस्ट्रेट ने संस्कृत से पीएचडी हैं।
गिरवर राठ गांव के अनुसूचित जाति के संतोष कुमार पुत्र करन सिंह की कुम्हरिया गांव में 2.9250 हेक्टेयर कृषि भूमि है। संतोष ने कोर्ट में बताया कि उसके ऊपर सरकारी कर्जा है और बीमारी से भी परेशान है। कर्ज चुकाने और इलाज के लिए वह गैर अनुसूचित जाति के दो लोगों को भूमि बेचना चाहता है। भूमि का सौदा दो हिस्सों में (0.4050 हेक्टेयर व 0.0930 हेक्टेयर) में करना चाहता है।
जिला मजिस्ट्रेट ने मामले की जांच राठ एसडीएम और तहसीलदार से कराई। इसके आधार पर संतोष को गैर अनुसूचित जाति के लोगों को भूमि बेचने की अनुमति दे दी है। जिला मजिस्ट्रेट ने शुक्रवार को जब फैसला सुनाया तो ज्यादातर लोग हतप्रभ रह गए। क्योंकि जो फैसला जिला मजिस्ट्रेट पढ़कर सुना रहे थे, वह हिंदी या अंग्रेज़ी में नहीं था बल्कि संस्कृत में था। फिलहाल जिला मजिस्ट्रेट की इस नई पहल की लोग तारीफ करते दिखाई दे रहे हैं। जिला मजिस्ट्रेट डॉ.चंद्रभूषण त्रिपाठी ने संस्कृत से पीएचडी हैं और उन्होंने संस्कृत भाषा में ऑर्डर किया है।
संस्कृत में फैसले को लेकर हमीरपुर जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने कहा कि संस्कृत भाषा में निर्णय देकर डीएम ने इतिहास रचा है। उन्होंने कहा कि कोर्ट में कभी किसी जिला जज ने संस्कृत भाषा में आदेश पारित नहीं किया है।
उन्होंने कहा कि जिला जज की इस पहल से संस्कृत भाषा के प्रयोग को प्रोत्साहन मिलेगा और लोगों को सनातनी देवभाषा को जानने और समझने का अवसर मिलेगा। हम भी इस भाषा को जानने और समझने का प्रयास करेंगे। आमतौर पर निर्णय हिंदी या अंग्रेजी में पारित किए जाते हैं।