लखनऊ। भाजपा ने अपने यूपी अध्यक्ष की घोषणा कर दी है। वर्तमान योगी सरकार में पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी को यह पद दिया गया है। इसके साथ पहली बार ऐसा हुआ है जब एक जाट नेता को कमान दी गई है। भूपेंद्र चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बीजेपी को पूरे राज्य में पिछड़े वोट बैंक को साधने में मदद मिलेगी।
भूपेंद्र चौधरी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माने जाते हैं। उन्हें भगवा पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के पीछे आगामी लोकसभा चुनाव में यूपी खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट मतदाताओं को साधना भी प्रमुख कारण है। उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाकर किसान आंदोलन के कारण भाजपा से रूठे जाट मतदाताओं को मनाने का प्रयास किया गया है। भाजपा में एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत है लिहाजा चौधरी को अब मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ेगा। पहली बार किसी जाट नेता को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई है।
भूपेंद्र चौधरी तीन बार भाजपा के पश्चिम क्षेत्र के अध्यक्ष रहे हैं। उन्होंने संभल लोकभवन सीट से सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के सामने लोकसभा चुनाव भी लड़ा है। वह मुरादाबाद के महेंद्र गांव के रहने वाले हैं।
भूपेंद्र चौधरी के नाम की घोषणा होने तक कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह अपना कार्यकाल पूरा होने के बाद भी प्रदेश अध्यक्ष का कार्यभार संभाल रहे थे। वह जलशक्तिमंत्री हैं। स्वतंत्र देव के पहले, केशव प्रसाद मौर्य, लक्ष्मीपति त्रिपाठी, सूर्य प्रताप शाही, रमापति राम त्रिपाठी, केशरी नाथ त्रिपाठी, विनय कटियार और कलराज मिश्र अध्यक्ष बनाए जा चुके हैं। मिश्र को दो बार अध्यक्ष बनाया गया है। मिश्र के पहले राजनाथ सिंह और कल्याण सिंह भी प्रदेश अध्यक्ष बनाए जा चुके हैं।
किसान परिवार में जन्म
भूपेंद्र चौधरी का जन्म मुरादाबाद जिले के महेंद्री सिंकदरपुर गांव में साल 1966 में एक किसान परिवार में हुआ था। भूपेंद्र सिंह चौधरी की शुरुआती शिक्षा गांव के ही प्राथमिक स्कूल में हुई और फिर मुरादाबाद के आरएन इंटर कॉलेज से उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई की।
वह आगे चलकर विश्व हिंदू परिषद से जुड़े और फिर 1991 में उन्होंने बीजेपी ज्वाइन की। वह फिलहाल यूपी विधान परिषद के सदस्य हैं। उन्हें 10 जून 2016 को उत्तर प्रदेश विधान परिषद का सदस्य चुना गया था। वह बीजेपी के 2012 में पार्टी के क्षेत्रीय अध्यक्ष रहे हैं।
आपको बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यूपी में 80 में से 71 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया था। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन के सामने उसे पश्चिमी यूपी में झटका लगा था। भाजपा को यूपी में जिन 16 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा उनमें से सात सीटें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की थी। उस चुनाव में बीजेपी मुरादाबाद मंडल की सभी छह सीटें हार गई। साथ ही सहारनपुर सीट भी गंवानी पड़ी थी।