बहराइच। जिस महिला (पत्नी) के अपहरण और दहेज हत्या की सजा में पति ने 10 साल जेल में काट दिए, वह महिला अपनी बहन के घर सुरक्षित मिली है। पुलिस ने महिला को कोर्ट में पेश करने के बाद वन स्टॉप सेंटर भेज दिया। अब पुलिस हर पहलू पर फिर से मामले की जांच करेगी।
रामगांव थाना क्षेत्र के जमापुर गांव निवासी कंधई पुत्र रिखी राम का विवाह 2006 में इसी गांव निवासी रामवती के साथ हुआ था। बताया जाता है कि 2009 में रामवती ससुराल से लापता हो गई। मायके वालों ने कोर्ट की शरण लेकर पति समेत चार लोगों पर मुकदमा दर्ज कराया। रामगांव थाने में 6 जनवरी 2010 को जेठ इतवारी, पति कंधई, देवर प्रमोद, सास तारावती के विरुद्ध अपहरण, दहेज उत्पीड़न के तहत केस दर्ज किया गया। पुलिस ने चारों नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी की। जिसके डेढ़ माह बाद मां तारावती, तीन माह बाद इतवारी व प्रमोद और पांच माह बाद कंधई जमानत पर रिहा हुए।
इस मामले में अपर सत्र न्यायाधीश नंद कुमार ओझा ने 30 अक्टूबर 2017 को सुनाए फैसले में इतवारी और प्रमोद को साक्ष्य न मिलने पर बरी कर दिया, एक आरोपी तारादेवी की सुनवाई के दौरान ही मौत हो गई। जबकि कंधई को 10 वर्ष और 17 हजार जुर्माना की सजा सुनाई गई और उसे जेल भेज दिया गया। इसके बाद कंधई ने हाईकोर्ट में अपील कराई और जमानत मिली।
बताया जाता है कि बीते शनिवार को 12 साल से लापता पत्नी रामावती को कंधाई की एक रिश्तेदार ने उसके बहन के घर देखा, जहां वह रह रही थी। रिश्तेदार ने इसके बारे में कंधाई को सूचना दी। इसके बाद कंधाई ने तुरंत ही अपने रिश्तेदारों के साथ पहुँच गया। लोगों ने आरोप लगाते हुए महिला से पूछा कि बिना किसी कसूर के तुमने सबको क्यो फंसाया? देखते ही देखते इस मामले को लेकर लोग महिला से झगड़ने लगे।
कंधाई ने तुरंत ही पुलिस को भी इस बारे में सूचित किया और बाद में रामगांव के एसएचओ संजय सिंह के नेतृत्व में महिला पुलिस टीम मौके पर पहुंची, एएसपी ने बताया कि महिला को वन स्टॉप सेंटर में रखा गया है जहां हिंसा प्रभावित महिलाओं को आश्रय दिया जाता है। रामवती को आज कोर्ट में पेश किया जा रहा है। अपर पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार ने बताया है कि महिला को कोर्ट में पेश कर दिया गया है, अब जो कोर्ट आदेश देगी उस हिसाब से कार्रवाही होगी।