लखीमपुर। यूपी के जनपद लखीमपुर खीरी के तिकुनिया के खैरटिया में दो बाघिन (मां-बेटी) और एक बाघ के बढ़ रहे हमले के दस दिन बाद वन विभाग को एक बड़ी सफलता मिली है। वन विभाग के लगाए गए पिंजड़े में एक बाघ मंगलवार की सुबह कैद हो गया। जिसे अधिकारियों ने बहराइच के कर्तनियाघाट भेज दिया है। फिलहाल एक बाघ के पकड़े जाने से ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है, लेकिन माँ-बेटी की क्षेत्र में मौजूदगी से दहशत अभी भी बरकरार है।
दस दिनों से खैरटिया व मझरा पूरब इलाके में दहशत का पर्याय बनी दो माँ-बेटी बाघिन और बाघ वन विभाग के लिए भी सिरदर्द बन चुकी हैं। वन विभाग द्वारा बाघिन को कैद करने के लिए लगाए गए पिंजड़े में मंगलवार की सुबह तीन बजे एक बाघ कैद हो गया। 17 जून को खैरटिया के मंदिर के पुजारी को निवाला बनाने के बाद से ही वन विभाग ने इन तीनों को कैद करने के प्रयास शुरू कर दिए थे। बताते हैं कि जिस समय बाघ पिंजरे में कैद हुआ उस समय बाघिन भी साथ थी, जो काफी देर तक पिंजरे के आसपास मंडराती रही। वन विभाग ने किसी तरह उसे वहां से हटाया। दुधवा टाइगर रिजर्व के पशु चिकित्सक डॉ. दया शंकर ने पिंजरे में कैद जानवर के बाघ होने की पुष्टि की है।
बेलरायां रेंजर विमलेश कुमार ने बताया कि सभी उच्चाधिकारियों को बहराइच बुलाया गया है। बाघ को वन विभाग कतर्नियाघाट बहराइच ले गया है, वही उसका स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। साथ ही यह निर्णय भी लिया जाएगा कि अब इसे कहां भेजा जाए। उन्होंने बताया कि अभी उसे जंगल में नहीं छोड़ा जाएगा।
रविवार की रात दुधवा बफर जोन अंतर्गत वन क्षेत्र के समीप नरेंद्र नगर बेली गांव में बेंत के खेत में घास लेने गए 30 वर्षीय नरेंद्र सिंह को बाघ ने मार डाला था। 17 जून को, एक स्थानीय पुजारी मोहन दास को मार डाला और 23 जून को, एक 13 वर्षीय लड़के सूरज सिंह को मौत के घाट उतार दिया। 20 जून को खैरटिया गांव में अपरान्ह करीब तीन बजे खेत में धान रोप रही महिला मिंदर कौर को बाघिन खींच ले गयी। इसके बाद उसकी लाश बरामद हुई।
लोगों की मानें तो पिछले 2 वर्षों में इन तीनों ने 20 लोगों को अपना शिकार बनाया है। तिकुनिया कोतवाली क्षेत्र के खैरटिया, मजरा पूरब, नयापिंड समेत आधा दर्जन से अधिक गांव में पिछले 2 वर्ष से बाघिन का आतंक है।