बहराइच। रुपईडीहा थाना क्षेत्र अंतर्गत भारत नेपाल सीमावर्ती इलाके में स्थित देव संस्कृति ग्रामोदय कृषि इंटर कालेज रामपुर में किसान परिषद की ओर से संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि सशस्त्र सीमा बल 42 वाहिनी नानपारा के उप सेना नायक अनिल कुमार यादव ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में बढ़ रहे नशा के प्रचलन को रोकने के लिए जन सहयोग और जनजागरण की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि सीमाई इलाकों में स्थित मेडिकल स्टोर्स व अन्य दुकानों पर अवैध तरीके से नशीले पदार्थों की बिक्री को रोकने के लिए जन सहयोग से बड़ा अभियान चलाया जाएगा साथ ही अवैध नशा का कारोबार करने वाले चिन्हित लोगों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी। तहसीलदार नानपारा मनीष वर्मा ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए आवश्यक है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में पेंडो का रोपण और उनका संरक्षण किया जाए। उन्होंने ग्रामसभा विद्यालय चिकित्सालय व सड़क के किनारे खाली पड़ी जमीनों पर पेंड लगाकर उनके संरक्षण की आवश्यकता बताई साथ ही नशा उन्मूलन के लिए कड़े प्रशासनिक कार्यवाही का संदेश दिया।
महामना मालवीय मिशन संयोजक संजीव श्रीवास्तव एडवोकेट ने बताया कि संगठन की ओर से व्यापक पैमाने पर समूचे जिले में पंचवटी प्रजाति के वृक्षों का रोपण व संरक्षण किया जा रहा है, साथ ही नशा के उपभोग व उत्पाद पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए जनजागरण महाअभियान चलाया जा रहा है। वहीं विशिष्ट अतिथि केवीके नानपारा प्रभारी डॉ बीके शाही ने सीमावर्ती इलाके में बेहतर कृषि उत्पादन के लिए प्रमाणिक व उन्नतशील बीजों के प्रयोग की आवश्यकता बताई और सरकार द्वारा चलाए जा रहे कृषि उत्पादन तथा पशुपालन कार्यक्रम के संबंध में विस्तार से चर्चा की ।
कार्यक्रम को प्रवक्ता राजीव श्रीवास्तव, समाजसेवी भुवन भाष्कर वर्मा, रविन्द्र नाथ शर्मा, प्राचार्य संजय श्रीवास्तव, समाजसेवी विवेक श्रीवास्तव, ग्राम प्रधान चंद्रप्रकाश मिश्र, प्रधान प्रकाश विश्वकर्मा, समाजसेवी बीपी सिंह, प्रवक्ता केशवराम शर्मा आदि ने भी संबोधित किया और क्षेत्रीय समस्याओं के समाधान की ओर अवगत कराया। कार्यक्रम के अंत में सशस्त्र सीमा बल 42 वाहिनी की ओर से कॉलेज प्रबंधक संजीव श्रीवास्तव एडवोकेट पत्रकार को सोलर स्ट्रीट लाइट देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान कृषि विज्ञान केंद्र व जिला कृषि विभाग के ओर से उपस्थित प्रगतिशील किसानों को दलहन व तिलहन के उन्नतशील प्रजाति के बीजों का वितरण भी किया गया।