लखनऊ। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने किसान अध्यादेश के विरोध में सोमवार को राजधानी में धरना प्रदर्शन किया। पार्टी के प्रभारी स्नातक लखनऊ डा. अशोक गुप्ता ने सपा कार्यकर्ताओं के साथ तहसील सदर लखनऊ में सरकार के किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया। डा. गुप्ता ने योगी सरकार के किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ नारेबाजी करते हुए किसान अध्यादेश को किसान विरोधी बताया।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर सोमवार सूबे की सभी तहसील स्तर पर समाजवादी कार्यकर्ताओ ने भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन करते हुए राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा। राजधानी लखनऊ में आज सभी पांचों तहसीलों सदर, मोहनलालगंज, सरोजनीनगर, बख्शी का तालाब, मलिहाबाद में हजारों की संख्या में पहुंचे समाजवादी कार्यकर्ताओ ने धरना-प्रदर्शन के बाद अपना ज्ञापन सौंपा।
वहीं सदर तहसील लखनऊ में सरकार के किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे समाजवादी पार्टी के प्रभारी स्नातक डा. अशोक गुप्ता, प्रदेश सचिव यूथ बिग्रेड़ शेख शहनवाज हुसैन, विधानसभा अध्यक्ष (बलहा) दधीच यादव एवं अन्य साथियों समेत दो महिला पदाधिकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। देर रात सपा सुप्रीमो के भतीजे एवं पूर्व सपा सांसद धर्मेन्द्र यादव के हस्तक्षेप के बाद समाजवादी साथियों को रिहा किया गया।
जेल से बाहर निकलने के बाद डा. अशोक गुप्ता ने कहा कि योगी सरकार किसान एवं युवा विरोधी सरकार है, प्रदेश में गुंडाराज है शासन व्यवस्था चरमरा गयी है। किसान एवं युवाओं के अधिकार के लिए हम समाजवादी साथी सड़क कर उतरेंगे। उन्होंने कहा कि योगी सरकार भतभीत है। सरकार द्वेष की भावना से कार्य कर रही है इसलिए हम लोगों को फर्जी मुकदमों में फसाकर जेल भेज रही है। वही प्रदेश सचिव यूथ-बिग्रेड शेख शहनवाज हुसैन ने नारा देते हुए कहा कि अखिलेश दीवाने कहां गये थे, जेल गये थे जेल गये थे।
उन्होंने कहा कि युवा बेरोजगार है जब उनके अधिकारों के लिए हम लोग सड़क पर आते है तो सरकार भयभीत हो जाती है। हम पर लाठी चार्ज कर देती है, लेकिन हम डरने वाले लोगो में नहीं है। हम अखिलेश दीवाने है अंतिम सांस तक युवाओं के अधिकार की लड़ाई लड़ेंगे। ज्ञापन में कोरोना संकट काल में आवश्यक उपकरणों की खरीद में घोटाला, स्वास्थ्य सेवाओं में अनियमितता, भ्रष्टाचार, सरकारी उत्पीड़न में वृद्धि, बेहाल किसान, बेरोजगारी और ध्वस्त कानून व्यवस्था के मुद्दे उठाते हुए राज्यपाल से संवैधानिक कार्यवाही करने का आग्रह किया गया है।