नई दिल्ली। चीन के वुहान शहर से फैली Covid-19 जैसी महामारी ने आज़ पूरे विश्व को अपने चपेट में ले लिया है। जहां पूरा विश्व आज़ कोरोनावायरस (Covid-19) के संक्रमण की चपेट में आकर आंतरिक गृहयुद्ध लड़ रहा है, वहीं चीन इस महामारी के संकट के दौर में भी अपनी विस्तारवादी नीति से बाज नहीं आ रहा है। चीन (ड्रैंगन) का पुराना इतिहास रहा है, चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों एवं प्रपंच का सहारा लेकर पूरी दुनियां की अर्थव्यवस्था पर अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहता है, अमेरिका के बाद चीन दुनियां की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति है।
चीन वर्षों से अमेरिका को पछाड़कर स्वयं को दुनियां की सर्वोपरि आर्थिक महाशक्ति के रुप स्थापित करने का स्वप्न देखता रहा है। पूरी दुनियां को अपनी मुठ्ठी में कर लेने की नीति एवं अमेरिका से महाशक्ति का तमगा छीनने के स्वप्न ने चीन को और निरंकुश बना दिया है। इस भयावाह महामारी के संकट के दौरान जहां एक ओर पूरा विश्व इस महामारी से जूझ रहा है, वही चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों में कोई कमी लाता नहीं दिख रहा है इसका जीता जागता उदाहरण चीन का दक्षिणी चीन सागर में सीमा विस्तार करना है, एवं सैन्य गतिविधियां बढ़ा देना है।
चीन हमेशा से अपने से कमजोर देशों को आंख दिखाता आया है। वही उत्तरी ध्रुव के आसपास चीन एक मार्ग बनाना चाहता है जिसे चीन की अति महात्वाकांक्षी योजना पेपर सिल्क रोड़ का नाम दिया गया है। चीन की यह महत्वाकांक्षी योजना सिल्क रोड़ और वन बेल्ट वन रोड़ योजना का ही एक हिस्सा है। चीन अगर ऐसा करने में कामयाब होता है तो उत्तरी अमरीका, पूर्वी एशिया और पश्चिमी यूरोप के तीन बड़े आर्थिक ध्रुवों को जोड़ने में सफल होगा।
वही भारत और विश्व के अन्य देशों को धेरने के लिए चीन लगातार हिंद महासागर में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा रहा है, पेंटागन की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका ने चीन की इस विस्तारवादी नीतियों एवं लगातार हिन्द महासागर में बढ़ती चीन की सैन्य गतिविधियों को देखकर चिंता जाहिर की थी। चीन दुनियां के तमाम देशों में समुद्री मार्ग के माध्यम से सैन्य ठिकाने बनाना चहता है। हिंद महासागर में लगातार बढ़ रही चीन की सैन्य गतिविधियां भारत के लिए चिन्ताजनक अवश्य है। वही चीन ने ग्वादर बंदरगाह एवं कराची बंदरगाह के मध्य सैन्य आवाजाही भी बढ़ा दी है। जिससे समुद्र के रास्ता चीन भारत की सामरिक एवं सैन्य शक्तियों की जसूसी करने के फिराक में है।
वहीं दूसरी तरफ़ चीन चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर पर भी काम कर रहा है। इसका उद्देश्य चीन के पश्चिमी क्षेत्रों को अरब सागर और हिन्द महासागर से जोड़ना है।इसके ज़रिए चीन मध्य-पूर्व और अफ़्रीका में अपना प्रभाव जमा पाएगा।अभी चीन मालगाड़ी की 20 रेलवे लाइन का संचालन कर रहा है जिसके ज़रिए लंदन, मैड्रिड, रोटेड्रम या वर्सावा जैसे यूरोपीय शहर संपर्क में हैं।चीन की अगली योजना चीनी शहर कनमिंग को दक्षिण के देशों वियतनाम, लाओस और म्यांमार के रेलवे नेटवर्क से जोड़ने की है। अगर चीन इन लाइनों को पूरा कर लेता है वो थाइलैंड, कंबोडिया या वियतनाम को बाक़ी दक्षिणपूर्व एशिया से जोड़ने की परियोजना पर काम शुरू करेगा।
चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों के लिए दुनियां में कुख्यात है इसका जीता जागता उदाहरण चीन का डोकलाम में सड़क निर्माण एवं डोकलाम विवाद है। चीन भारत को सामरिक एवं सैन्य दृष्टिकोण से धेरने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है। तिब्बत पर अपना अधिपत्य जमाना हो या श्रीलंका, मालदीव, बांग्लादेश एवं पाकिस्तान के कश्मीर विवादित क्षेत्र में पोर्ट का निर्माण यह चीन की विस्तारवादी नीतियों का ही हिस्सा है। चीन भारत की सीमा से सटे हर राष्ट्र को अपनी जद़ में कर लेना चाहता है, जहां से भारत की सैन्य गतिविधियों को नियंत्रण में लिया जा सके।
हलांकि चीन पूरी दुनियां को कोरोना वायरस (Covid-19) की जंग में ढकेलकर स्वयं अपनी विस्तारवादी नीतियों पर कार्य करने में लगा है। अभी हाल ही में चीन ने कच्चें तेल को भारी मात्रा में आयातित कर अपना तेल भंडार भरना शुरु के दिया है जो अमेरिका के तेल भंडारण से दो-तिहाई अधिक है। कोरोना महामारी के इस दौर में चीन ने पूरे विश्व को अपने नियंत्रण में लेने के लिए एवं उन देशों की आर्थिक गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए पूरे विश्व की कंपनियों के अधिकतम् शेयर खरीद़ लिए है, यह भी चीन की विस्तारवादी नीति का ही एक हिस्सा है।
अमेरिका की खुफियां एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार अभी हाल ही में चीन ने 11 छोटे-छोटे परमाणु हथियारों का परिक्षण किया है। इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि चीन अपनी विस्तारवादी नीति के साथ ही युद्ध नीति पर भी काम कर रहा है, जो पूरी दुनियां के लिए चिंताजनक है। चीन का जापान, मालदीव और अन्य देशों के साथ समुद्री सीमा विवाद है, चीन कोरोना महामारी के दौरान लगातार दक्षिणी चीन सागर एवं प्रशांत महासागर में अपनी सैन्य गतिविधियां बढ़ा रहा है। और अपनी कई सैन्य टुकडियां इन विवादित स्थलों पर तैनात कर दी है, कोरोना महामारी की आड़ में चीन लगातार इन विवादित क्षेत्रों में सैन्य अभ्यास कर रहा है।
चीन को आंख दिखाने वाले यूरोपीय देश एवं अमेरिका इन दिनों कोरोना से आंतरिक युद्ध लड़ने उलझे हुए है, जिसका फायद़ा चीन उठा रह है। खैर देर-सबेर चीन को अपनी विस्तारवादी नीतियों पर लगाम लगाना ही पड़ेगा, और इन देशों के प्रति चीन को जवाबदेह होना पड़ेगा।
अवधेश वर्मा