बहराइच। प्रशासन द्वारा बेसहारा पशुओं की देखरेख के लिए गौशाला निर्माण व उसके संरक्षण से सम्बन्धित सभी दावे फेल नजर आ रहे हैं। बेसहारा पशुओं की बेतहाशा हो बढ़ोत्तरी से ग्राम प्रधान व ग्राम स्तर के आला अधिकारियों की मुसीबत बढ़ाती जा रही है। मिहींपुरवा विकासखंड के कई इलाकों में घूम रहे पशुओं से अधिकारी के साथ आम जनता भी परेशान है।
कर्तनिया वन्य जीव प्रभाग का जंगल अत्यधिक घना होने की वजह से बहराइच व लखीमपुर जनपद के ग्रामीण अपने छुट्टा पशुओं को यहां के जंगलो में लाकर छोड़ देते हैं जिसके बाद यही पशु जंगल से निकलकर ग्रामीण व उससे सटे कस्बों में भटकने लगते हैं। प्रशासन की तरफ से ग्राम सभा में चारागाह की जमीन पर गौशाला बनाए जाने के निर्देश के बाद विकासखंड मिहींपुरवा के बलईगांव व मोतीपुर में गौशाला बनवाई गई लेकिन यहां की व्यवस्था ने चंद दिनों में ही दम तोड़ दिया। अब सिर्फ दो गौशाला में इन बेसहारा पशुओं की सुरक्षा कैसे हो ये बात हाजमे लायक नही है। बताते चलें कि पिछले दिनो मिहींपुरवा तहसील में आयोजित समाधान दिवस में जिलाधिकारी ने जनता दर्शन में कहा था कि यदि कही भी बेसहारा पशुओं को आवारा घूमते देखा गया तो सम्बंधित गांव के ग्राम विकास अधिकारी व प्रधानो के खिलाफ कार्यवाही होगी।
डीएम के जाने के बाद ग्रामीणो ने प्रधानो पर बेसहारा पशुओं के लिए गौशाला निर्माण को लेकर दबाव बनाना शुरु कर दिया लेकिन चारागाह की भूमि न होने के वजह प्रधान गौशाला बनवाने में असहज महसूस कर रहे हैं। बेसहारा पशुओं की बढ़ोत्तरी से आहत किसानो का कहना है कि गौशाला निर्माण को सिर्फ चारागाह भूमि तक ही सीमित नही रखना चाहिये बल्कि जिन गांवो में चारागाह के लिए जमीन नही है वहां ग्रामीणो की सुविधानुसार इसे किसी भी सरकारी भूमि पर बनवा दिया जाए। कुलमिलाकर बदइंतजामी का शिकार झेल रहे इन बेसहारा पशुओं का दर्द अधिकारी चाह कर भी नही सुन पा रहे हैं।