बहराइच। करीब 40 हजार लोगों की आबादी व जनपद मुख्यालय से 60 किमी दूर कतर्निया घाट के जंगल से सटा मिहींपुरवा कस्बा पिछले कई सालों से नगर पंचायत का दर्जा पाने की बाट जोह रहा है। सपा, बसपा व भाजपा जैसी राजनितिक पार्टियों ने इस कस्बे को केवल वादों में सिमटा कर रख दिया।
नगर पंचायत का दर्जा न मिलने से मिहींपुरवा विकास की होड़ में शामिल नहीं हो पा रहा। यही वजह है कि आये दिन यहां नई समस्याएं खड़ी हो जाती हैं। साफ़ सफाई, सड़क, रोडवेज बस अड्डा, कूड़े दान, जाम, अतिक्रमण और ऐसी ही तमाम समस्याओं से यह कस्बा कई सालों से त्रस्त है। कई बार कस्बे के प्रबुद्ध लोगों ने इन समस्याओं को लेकर एसडीएम को ज्ञापन दिया लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात ही रहा। बताते चलें कि वर्ष 2005 के लोकसभा चुनाव से इस कस्बे को नगर पंचायत बनाये जाने की मांग उठ रही है। हांलाकि मांग की इस कड़ी में पिछले 2015 में हुए उपचुनाव के दरमियान क्षेत्रीय विधायक वंशीधर बौद्ध के प्रयास के बाद मिहींपुरवा को तहसील तो मिली लेकिन नगर पंचायत बनाये जाने की मांग ठंडे बस्ते में सिमट कर रह गई। व्यवसाय की दृष्टि से वर्तमान में यहां की बाजार सिर्फ मिहींपुरवा तक सीमित न होकर चार ग्राम पंचायतो कुड़वा, परवानीगौढ़ी, मिहींपुरवा तथा मोतीपुर तक फैल चुकी है। नगर पंचायत के मुद्दे पर मिहींपुरवा के व्यापार मंडल अध्यक्ष संजय सिंह, महामंत्री अतुल चौधरी, बाबूलाल शर्मा समेत कई व्यापारियों का कहना है कि मिहींपुरवा को टाउन एरिया बनाना अत्यंत आवश्यक है। इस बार वोट उसी प्रत्याशी को मिलेगा जो इसे नगर पंचायत का दर्जा दिला सके साथ ही मूलभूत समस्याओं को हल कर सके।