बहराइच। “स्याही मन के कागज पर बिखर जाए तो कविता है, जिगर फौलाद पानी सा पिघल जाए तो कविता है”। युवा कवि अमरनाथ “ललित” की ये पंक्तियां जब उत्तरप्रदेश संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित काव्यपाठ में गूंजी तो हर तरफ़ वाहवाही का शोर गूंज उठा। कवि अमरनाथ 16 फरवरी को प्रयागराज कुम्भ में उत्तरप्रदेश संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित भव्य काव्यपाठ में बतौर गेस्ट बुलाए गए थे।
“सूना होता है घर तुम बिन, मैं भी सूना हो जाता हूँ” जैसी तमाम कविताओं से परिसर तालियों की गडगडाहट से गूंज उठा। काव्यपाठ के अन्त में “ललित” को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया गया। अमरनाथ के पिता मनोहर लाल बताते हैं “बेटे को जब कविता के जरिये यूट्यूब पर देखता हूं तो अपनी परवरिश पर गर्व होता है।” जिला बहराइच के एक छोटे कस्बे मिहींपुरवा निवासी युवा कवि पेशे से टीचर हैं और पिछले 10 वर्षों से राजधानी लखनऊ में रहकर भटके युवाओं का भविष्य संवार रहे हैं। अमरनाथ के पढ़ाये कई छात्र वर्तमान में विभिन्न सरकारी पदों पर तैनात हैं। जिंदगी को अपने तरीकों से जीने वाले और भविष्य में अपनी काबिलियत के बलबूते कुछ बड़ा करने वाले अमरनाथ “ललित” कविता को अपना शौक मानते हैं। राजधानी में भी अमरनाथ अपने इसी शौक से कई बड़े कवियों से सम्मान पा चुके हैं।