नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को असम के डिब्रूगढ़ में भारत के सबसे लंबे रेल-सड़क पुल का उद्घाटन किया। बताया जा रहा है कि रणनीतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण यह पुल देश की सुरक्षा के लिए अहम भूमिका निभाएगा। ब्रह्मपुत्र नदी पर बने बोगीबील पुल की लम्बाई 4.94 किलोमीटर है जिसपर आपात स्थिति में लड़ाकू विमान भी उतर सकेंगे। बताते चलें कि असम समझौते का हिस्सा रहे बोगीबील पुल की 1997-98 में सिफारिश की गई थी।
पुल की आधारशिला प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने 22 जनवरी, 1997 को रखी थी, लेकिन इस पर काम 21 अप्रैल, 2002 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी की सरकार के समय में शुरू हो सका। आज 25 दिसंबर को पुल का शुभारंभ अटल जी की 95वीं वर्षगांठ पर किया गया है। परियोजना के रणनीतिक महत्व को देखते हुए केंद्र सरकार ने इस पुल के निर्माण को 2007 में राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया था। इस कदम के बाद से धन की उपलब्धता बढ़ गई और काम की गति में तेजी आ गई। पुल की उपलब्धियां गिनाते हुए पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी प्रणव ज्योति शर्मा ने बताया कि चीन के साथ भारत की 4,000 किलोमीटर लंबी सीमा का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा अरुणाचल प्रदेश में है और यह पुल भारतीय सेना के लिए सीमा तक आवागमन में मदद करेगा। इसका निर्माण तीन लेन की सड़कों और दोहरे ब्रॉड गेज ट्रैक के साथ किया गया है। सूत्रों की माने तो यह पुल देश के पूर्वोत्तर इलाके की जीवन रेखा होगा और असम और अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तर और दक्षिण तट के बीच संपर्क की सुविधा प्रदान करेगा।