बहराइच। जिले में बारिश से राहत के आसार अभी नहीं दिख रहे। महसी, कैसरगंज और मिहींपुरवा तहसील क्षेत्र में सैकड़ों गांवों में घाघरा नदी कहर बरपा रही है। बारिश से जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। बारिश से लोगों को मुसीबतों से जूझना पड़ रहा है। लगातार बारिश से फसल भी खराब हो रही है। वहीं बाढ़ में फंसे 16 लोगों को जिला प्रशासन ने बचाया है।
नानपारा तहसील में सरयू नदी खतरे के निशान से 70 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। प्रति घंटे 6000 क्यूसेक पानी बढ़ रहा है। सरयू का खतरे का निशान 133.50 मीटर है, जबकि नदी 134.20 मीटर पर बह रही है। शनिवार को शारदा बैराज से 25,362 क्यूसेक, गिरिजा बैराज से 2.7 लाख क्यूसेक व गोपिया बैराज से 90 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। सरयू ड्रेनेज खंड के एक्सईएन शोभित कुशवाहा ने बताया कि नेपाल के पहाड़ों पर बारिश की वजह से जलस्तर बढ़ा है। बारिश बंद होने पर जलस्तर घटेगा। एल्गिन ब्रिज पर घाघरा नदी का जलस्तर 106.856 मापा गया है। जो खतरे के निशान 106.070 से 0.78 सेमी ऊपर बह रही है।
तहसील मिहीपुरवा में बाढ़ के दौरान सरयू नदी से प्रभावित क्षेत्र- सर्रा, पड़रिया, पुरैना, करमोहना, पौंडा, सेंगवा, कंजड़वा, मनगौड़िया, जोगनिया, लालपुर, मिहीपुरवा, कुड़वा, चंदनपुर, बढ़ईया, पुरैना, बगहा, रानीपुर, बलुहिया।
घाघरा नदी से प्रभावित क्षेत्र- सुजौली, चफ़रिया, जोगनिया, चहलवा, बड़खड़िया, गिरगिट्टी, जालिमनगर, शोभापुरवा, मनगौड़ीया।
बाढ़ की चपेट में कई गांव- लालपुर, पड़रिया, पुरैना, सेंगवा, जोगनिया आदि। इन सभी गांव के लोग अपने गांव से निकलकर अपने जानवरों सहित सरयू नदी के बांध पर रहने को मजबूर हो गए हैं। इसके अलावा रानीपुर, भलुहिया व अन्य दर्जनों गांव के लोग लखीमपुर-नानपारा हाइवे के किनारे शरण लिए हुए हैं।
बारिश की वजह से राहत व बचाव कार्य भी फीके पड़े हैं। गांव छोड़ने वाले ग्रामीणों को अपने घरों की छतों पर रहने वाले परिजनों की चिंता सता रही है। बाढ़ पीड़ितों को तहसील प्रशासन के अधिकारियों द्वारा भोजन, तिरपाल व अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। स्वास्थ्य विभाग ने भी सोमवार को बाढ़ पीड़ितों के लिए कैम्प लगाकर दवाइयों का वितरण किया है।
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