बहराइच। एसपी वृंदा शुक्ला ने नवजात बंदर को गोद लेकर न केवल उसकी जान बचाई है बल्कि उसकी मृत मां को सम्मान से दफनाया है। उनके इस काम ने सभी का दिल छू लिया।
आईपीएस वृंदा शुक्ला ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘मैं लंबे समय से हनुमान भक्त रही हूं। भारत के प्रिय और बहुत पूजनीय वानर भगवान में मेरी गहरी आस्था है। हालांकि, बड़ा मंगल की अवधारणा मेरे लिए लगभग अज्ञात थी। बहराइच में मेरी पोस्टिंग के कारण मुझे इस वर्ष एक महीने तक चलने वाले बड़े मंगल उत्सव का गवाह बनने का मौका मिला, जिसका समापन हो गया है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम पहली बार अपने सबसे बड़े भक्त हनुमान से ज्येष्ठ के महीने में मिले थे। इसलिए ज्येष्ठ के प्रत्येक मंगलवार को देश के कई हिस्सों में ‘बड़ा मंगल’ के रूप में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। हनुमान मंदिरों और कई भंडारों में भक्तों की भीड़ होती है।’
अंधेरे में मंडरा रहा था छोटा बंदर
वृंदा शुक्ला ने आगे लिखा, ‘बड़ा मंगल का मेरा पहला अनुभव भगवान हनुमान ने अविस्मरणीय बना दिया है। पहले बड़े मंगल की पूर्व संध्या पर मैं अपने पालतू डॉगी को रात करीब 10:00 बजे बाहर लेकर गई। मुझे बहुत निराशा हुई जब मैंने पास में एक मृत बंदर पड़ा देखा, जिसका पिछला हिस्सा खून से लथपथ था। मैंने टॉर्च की रोशनी में चारों ओर देखा और पाया कि सबसे छोटा और सबसे सुंदर छोटा बंदर अपनी मां के शव के पास अंधेरे में मंडरा रहा था। मेरा दिल उस नन्हे के लिए दुखी हो गया, जो सिर्फ़ कुछ घंटों का था और इस बड़ी दुनिया में पहले से ही बहुत अकेला था। मुझे तुरंत पता चल गया कि मुझे कुछ करना होगा।’
गूगल से पूछे बंदर को पालने के सुझाव
एसपी वृंदा शुक्ला का कहना है, ‘मैंने एक छोटा सा बाथ टब लिया, उसमें कुछ पुराने कपड़े डालकर बिस्तर तैयार किया और नवजात को अपने साथ घर ले गया। मैंने अनाथ बंदर की देखभाल के बारे में कुछ सुझाव गूगल पर खोजे और उसके अनुसार अपने बेटे की पुरानी फीडिंग बोतल से उसे पतला दूध पिलाया। वह स्पष्ट रूप से भूखी थी।’
छोटे बंदर का नाम रखा ‘हनु’
आईपीएस ने अपनी भावनाओं को लिखते हुए कहा, ‘अगली सुबह ज्येष्ठ के पहले बड़े मंगल को मादा बंदर को ‘सीता राम’ लिखे पीले कपड़े में लपेटकर, फूलों से ढंककर एसपी निवास के परिसर में हनुमान मंदिर के पीछे दफनाया गया। उस दिन उसकी मुलाकात उसके राम से हुई होगी। पीछे छोड़ी गई नन्ही सी बच्ची घर में सभी के लिए खुशी और विस्मय का स्रोत बन गई, जो बहुत चर्चा का विषय बन गई। मानो भगवान ने खुद उसे प्रेरित किया हो, उसके लिए मेरे दिमाग में सबसे पहला नाम ‘हनु’ आया।’
वृंदा शुक्ला का दुलारा बना बंदर
उन्होंने आगे लिखा, ‘नन्ही हनु में लगभग ईश्वर जैसी पूर्णता और शांति है। उसे एक छोटी बंदर गुड़िया सबसे ज़्यादा पसंद है। जिसे वह पूरे दिन खास तौर पर सोने के लिए अपने पास रखती है। हनु ने मेरी मादा जर्मन शेफर्ड – डेला में भी मातृ वृत्ति को जीवित किया है, जिसने हनु के हमारे परिवार में आने के दिन से ही उसकी बहुत कोमलता से देखभाल की है। उसी क्षण से जब वह आई हनु ने मुझ पर एक अनोखा स्नेह दिखाया है, जिसने मुझे उसकी पालक मां के रूप में मान्यता दी है। हनु को अपनी बंदर गुड़िया को चूमते या दुलारते हुए देखकर मेरा दिल अभी भी भारी हो जाता है। लेकिन मैं यह देखकर खुश हूं कि वह हर दिन नई हरकतों के साथ कितनी फुर्तीली हो रही है।’
छोटे बंदर में दिखा भगवान हनुमान का रूप
अंत में वृंदा शुक्ला ने भावुकता के साथ लिखा, ‘आज जब बड़ा मंगल समाप्त हो रहा है, तब हनु ठीक तीन सप्ताह की हो गई है। मैं खुद को धन्य महसूस करती हूं कि भगवान ने मुझे इस पवित्र महीने में अपना प्रतिनिधि चुना। ताकि एक नए जीवन को संरक्षित करने में मदद कर सकूं, जिसे स्वयं भगवान के रूप में पूजा जाता है। हनुमान जी ने अपनी बेहतरीन रचना के माध्यम से इस महीने मुझे करीब महसूस कराया।’