लखनऊ। समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री आजम खान की मुश्किलें खत्म नहीं हो पा रही हैं। अब आजम खान को फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट परिवार समेत दोषी करार दिया गया है। रामपुर की स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट ने आजम और उनके बेटे और पत्नी को इस मामले में 7-7 साल की सजा सुनाई है। इस पर अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि आजम खान मुसलमान हैं, इसलिए उनके साथ अन्याय किया जा रहा है। उनके खिलाफ साजिश और षड्यंत्र किया गया है।
भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने तीन जनवरी 2019 को गंज कोतवाली में मोहम्मद आजम खां, अब्दुल्ला आजम और तजीन फात्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि अनुचित लाभ लेने के लिए आजम खां और तजीन फात्मा ने बेटे अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाण पत्र बनवाए हैं। पुलिस ने जांच के बाद अप्रैल 2019 में आजम खां, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम और पत्नी तजीन फात्मा को 420, 467, 468, 471 आईपीसी व 120 बी का आरोपी मानते हुए कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। इस मुकदमे में सम्मन के बाद भी हाजिर न होने पर आजम खां, डा.तजीन फात्मा और अब्दुल्ला आजम खां के खिलाफ दिसंबर 2019 में कुर्की की प्रक्रिया शुरू हुई। आखिरकार 26 फरवरी 2020 को आजम, अब्दुल्ला और तजीन ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। तब तीनों को जेल भेज दिया गया था। करीब 27 माह बाद आजम जेल से बाहर आए थे। बुधवार को इस मामले में कोर्ट ने फैसले की तारीख मुकर्रर की थी।
क्या बोले आजम?
फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में सपा नेता आजम खान, उनकी पत्नी तजीन फातिमा और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान को कोर्ट की ओर से दोषी करार दिए जाने और सजा सुनाए जाने के बाद आजम खान ने कहा कि फैसले और न्याय में अंतर होता है। यह सिर्फ एक फैसला है। वहीं, इस मामले में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादाव ने भी बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि आजम खान और उनके परिवार को निशाना बनाकर समाज के एक पूरे हिस्से को डराने का जो खेल खेला जा रहा है, जनता वो देख भी रही है और समझ भी रही है। अखिलेश ने कहा कि कुछ स्वार्थी लोग नहीं चाहते हैं कि शिक्षा-तालीम को बढ़ावा देनेवाले लोग समाज में सक्रिय रहें।
वहीं अखिलेश यादव ने एक्स (ट्वीटर) पर पोस्ट किया, जिसमें लिखा है कि माननीय आजम खान जी और उनके परिवार को निशाना बनाकर समाज के एक पूरे हिस्से को डराने का जो खेल खेला जा रहा है, जनता वो देख भी रही है और समझ भी रही है। कुछ स्वार्थी लोग नहीं चाहते हैं कि शिक्षा-तालीम को बढ़ावा देने वाले लोग समाज में सक्रिय रहें। इस सियासी साजिश के खिलाफ इंसाफ के कई दरवाजे खुले हैं। ज़ुल्म करने वाले याद रखें…नाइंसाफी के खिलाफ एक अदालत अवाम की भी होती है।