कानपुर। यूपी में कानपुर के बिकरू कांड में तीन साल बाद पहला फैसला आ गया है। अदालत ने विकास दुबे के फाइनेंसर जय बाजपेयी समेत 23 आरोपितों को गैंगस्टर मामले में दोषी करार देते हुए दस-दस साल की सजा सुनाई है। पुलिस की तरफ से 30 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था। सात लोगों साक्ष्य नहीं मिलने के कारण कोर्ट ने बरी कर दिया है।
चौबेपुर क्षेत्र के बिकरू गांव में दो जुलाई 2020 को दबिश देने गई पुलिस टीम पर विकास दुबे गैंग ने फायरिंग कर दी थी। घटना में आठ पुलिस कर्मियों की मौत हो गई थी, जबकि कई लोग घायल हो गए थे। सनसनीखेज वारदात के बाद हड़कंप मच गया था। विकास दुबे गैंग पर पुलिस कहर बनकर टूटी थी। कई लोगों को मार गिराया गया था। विकास दुबे उज्जैन भाग गया था। उसे महाकाल मंदिर से गिरफ्तार किया गया था। यूपी लाते समय उसकी गाड़ी पलटी और एनकाउंटर में मार गिराया गया था।
वहीं पुलिस पर हुए इस हमले के मामले में 30 आरोपितों पर गैंगस्टर की कार्रवाई की गयी, जिसकी सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायालय पंचम में हुई। कोर्ट ने 23 आरोपियों को दोषी करार देते हुए 10-10 जेल की सजा सुनाई गई। साथ ही 50-50 हजार का जुर्माना भी लगाया गया। बिकरू कांड को लेकर इन सबकी पेशी कानपुर देहात की गैंगस्टर कोर्ट में हुई थी, जहां सुनवाई के बाद सजा सुनाई गई। फिलहाल, सभी दोषी कानपुर की माती जेल में बंद हैं।
इन लोगों को सजा
कोर्ट ने 23 आरोपितों को सजा सुनाई है। इनमें बिकरू गांव का हीरू दुबे, श्यामू बाजपेई, जहान यादव, दयाशंकर अग्निहोत्री, बबलू मुसलमान, रामू बाजपेयी, शशिकांत पांडेय, शिवम दुबे, गोविंद सैनी, उमाकांत, शिवम दुबे उर्फ दलाल, शिव तिवारी, जिलेदार, राम सिंह यादव, जय बाजपेई, धीरेंद्र कुमार, मनीष, सुरेश, गोपाल, वीर सिंह, राहुल पाल, अखिलेश उर्फ श्यामजी, छोटू शुक्ला शामिल है। सभी आरोपी पहले से ही जेल में हैं। गुडडन, प्रशांत, सुशील कुमार, बालगोविंद, राजेंद्र मिश्र, रमेशचंद्र व संजय को दोष मुक्त कर दिया गया है।