बहराइच। ‘जीने मरने की इजाजत कागज
बनाए और करे तबाह कागज
छीने खेत, घर, जमीन कागज
पोंछे आंखों की भी नमी कागज
हर जगह यूं है लाजिमी कागज
कुछ नहीं है मगर है सबकुछ भी
क्या गजब चीज है ये कागज भी’ अभिनेता पंकज त्रिपाठी की फिल्म ‘कागज’ इन्हीं पंक्तियों के साथ शुरू होती है। इसमें भरतलाल यानी पंकज त्रिपाठी को वसीयत के कारण घर के ही लोग सरकारी दस्तावेजों में मरा हुआ घोषित कर देते हैं। फिर अपने आपको जिंदा साबित करने के लिए वो सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाता रहता है। ये तो फिल्मी कहानी थी लेकिन पयागपुर तहसील क्षेत्र में ऐसा ही मामला सामने आया है।
पयागपुर तहसील के ग्राम पंचायत प्रतापपुर तहरह निवासी कुंवर बहादुर सिंह के तीन बेटे सुनील सिंह, सुशील सिंह व सुधीर सिंह है। साल 2005 में परिवार के भरण पोषण के लिए कुंवर बहादुर सिंह नौकरी की तलाश में मध्य प्रदेश चले गए थे। यहां उन्होंने प्राइवेट नौकरी की और वहीं रहने लगे। इस दौरान वह बीच-बीच में घर आते थे और बेटों व पत्नी के लिए आवश्यक सामान देकर चले जाते थे। साल 2007 में वह मध्य प्रदेश स्थित आनंद साहब मठ से जुड़ गए और यहीं धर्म व सेवा कार्य करने लगे। इस दौरान भी वह लगातार बच्चों व पत्नी से बात करते रहे और दो-तीन साल पर घर आकर उनका कुशलक्षेम जानते रहे।
कुंवर बहादुर सिंह ने बताया कि इसी दौरान बेटों के मन में लालच आया और उन्होंने जिम्मेदार अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ मिल कर साजिश रची। आरोप है कि बेटों ने पंचायत सचिव, राजस्व निरीक्षक व लेखपाल के साथ मिलकर कागजों में पहले उसे मृत दिखाया और फिर उसके नाम की 60 बीघा जमीन अपने नाम कर ली। बेटों ने साल 2007 में ही कुंवर बहादुर सिंह को कागजों में मृत घोषित कर दिया था लेकिन पिता को इसकी भनक तक नहीं लगने दी।
तीन बिसवां जमीन बिकी तब चला पता
2007 में ही पिता को मृतक दिखाकर जमीन अपने नाम पर दर्ज करवाने वाले बेटों की करतूत की भनक 16 सालों तक पिता कुंवर बहादुर सिंह को नहीं लगी लेकिन इसी दौरान एक बेटे ने तीन बिसवा जमीन बेची। इसके बाद एक ग्रामीण ने कुंवर बहादुर को फोन किया और उसकी मौजूदगी के बिना जमीन बैनामा होने पर सवाल खड़ा किया। इस पर पीड़ित कुंवर बहादुर सिंह भी सन्न रह गया और तत्काल अपने घर प्रतापपुर तरहर पहुंचा। यहां खसरा-खतौनी निकलवाने पर उसे बेटों की साजिश का पता चला।
उसने डीएम को शिकायती पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई। शिकायती पत्र में कुंवर बहादुर सिंह ने अपने तीनों बेटों सुनील सिंह, सुशील सिंह, सुधीर सिंह, पत्नी राधा देवी पर कार्रवाई की मांग की है। साथ ही उसने उसको मृत दिखाए जाने के समय 20 नवंबर 2007 के समय पर तैनात राजस्व निरीक्षक, लेखपाल व पंचायत सचिव पर भी कठोर कार्रवाई की मांग की।
पड़ोसी के घर को बनाया ठिकाना
बेटों की काली करतूत जानने के बाद पिता कुंवर बहादुर सिंह ने उनसे सभी नाता तोड़ लिया है। मध्य प्रदेश से आने के बाद से कुंवर अपने घर नहीं गया है और एक पड़ोसी के घर पर रह रहा है। इस संबंध में जब कुंवर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जब बेटों के अंदर इतना लालच है कि उन्होंने मुझे जिंदा रहते हुए मृत घोषित कर दिया तो इसकी क्या गारंटी है कि वह मेरे साथ कुछ गलत न कर दें।