लखनऊ। यूपी में निकाय चुनाव के लिए सुप्रीम कोर्ट से मिली हरी झंडी के बाद ओबीसी आरक्षण के संशोधित प्रस्ताव को योगी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। अब प्रस्ताव को राज्यपाल को भेजा गया है। वहां से मुहर लगते ही जल्द अधिसूचना जारी हो जाएगी।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में सामान्य नगरीय निकाय निर्वाचन-2023 उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम-1916 एवं उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम-1959 में संशोधन संबंधी अध्यादेश को रखा गया और मंजूरी दे दी गई। इसके साथ ही कुल 2 प्रस्तावों को योगी कैबिनेट की मुहर लगी है।
मीटिंग के बाद मंत्री एके शर्मा ने बताया, हाईकोर्ट के निर्देश पर ओबीसी आयोग की स्थापना की गई। उसकी सर्वे रिपोर्ट आ गई है। इसे सुप्रीम कोर्ट को भी भेजा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी मंजूरी दे दी। आयोग की रिपोर्ट के आधार पर कुछ आरक्षण संशोधन करने होंगे। इनके संशोधन के लिए अध्यादेश लाने की सिफारिश की गई है। अब इस पर यूपी की गवर्नर की मंजूरी का इंतजार है।
पिछले चुनाव में आरक्षित सीटें शून्य
सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में ट्रिपल टेस्ट के आधार पर सीटों के आरक्षण की व्यवस्था दी थी। उत्तर प्रदेश में इसके बाद वर्ष 2012 व 2017 के चुनाव पुरानी आरक्षण की व्यवस्था के आधार पर हो चुके हैं। इसलिए इन दोनों ही चुनाव में जो सीटें आरक्षित की गई थीं उन्हें शून्य माना जाएगा। आयोग की सिफारिश के आधार पर आरक्षण का अनुपात तय किया जाएगा। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि एससी, एसटी व ओबीसी की कुल आरक्षित सीटें 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। मेयर व अध्यक्ष की सीटों के आरक्षण में बदलाव होगा और वार्डों में कोई बदलाव नहीं होगा।