मिहींपुरवा (बहराइच)। जनपद में आवारा जानवरों का आतंक है। आवारा जानवर किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इन जानवरों से फसलों को बचाने के लिए किसान कड़ाके की ठंड में रात भर जाग कर खेतों की पहरेदारी कर रहे हैं। किसानों को डर है कि थोड़ी देर के लिए भी वह खेत छोड़कर गए तो ये जानवर उनकी फसल चट कर जाएंगे।
मिहींपुरवा क्षेत्र के गांवों में आवारा जानवर गेहूं, सरसों, आलू समेत अन्य फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसके चलते किसान सर्द रातों में भी लाठी-टार्च, लालटेन आदि लेकर पूरी रात खेतों की रखवाली कर रहे हैं। किसानों ने खेतों के चारों ओर लोहे के तारों से बैरिकेडिंग भी की है। हालांकि, जब जानवरों का झुंड आता है तो वह तारों को तोड़ता हुआ खेतों में घुस जाता है। कई बार पशुओं के झुंड किसानों के लिए आक्रामक भी बन जाते हैं।
सैकड़ों की तादाद में गोवंश
किसी समय गांवों की गलियों में गिने चुने गोवंश नंदी देखने को मिलते थे लेकिन बीते चार-पांच साल में इनकी संख्या दिन दोगुनी रात चौगुनी हो गई है। खेतों में हमले करने वाले पशु दर्जनों की तादाद में होकर सैकड़ों की तादाद में है। ऐसे में सभी पशु एकसाथ खेत को निशाना बना रहे हैं।
मिहींपुरवा ब्लॉक के किसानों का दर्द
गांव जरही निवासी बच्छराज ने बताया कि रात भर खेत की रखवाली करने के बावजूद गौवंश फसलों का नुकसान करके चले जाते हैं। कई बार शिकायत की लेकिन सुनवाई नहीं हो रही।गाँव के ही युवक घसीटे ने उन्होंने मटर व टमाटर लगा रखें हैं। उनका कहना है कि सर्द रातों में पहरा लगाने के बावजूद गायों से बचाना मुश्किल है। वहीं राधेश्याम ने बताया कि अक्टूबर में एक हफ्ते की बारिश ने कहर बरपाया था। अब इधर दूसरे खेत में लगा गन्ना आये दिन गाय और जंगली जानवर रौंद कर चले जाते हैं।
जंगली जानवरों का खौफ भी कम नहीं
प्रहलाद ने बताया कि कतर्नियाघाट जंगल करीब होने के चलते अक्सर तेंदुआ इनके गन्ने के खेत में छिप जाता है। गाँव के लोग तेंदुए की दहशत में दिन में भी अपने खेतों को जाने से डरते हैं। इसी तरह पिछले दिनों सुरेश व भागीरथ के सरसों का खेत सुअर के झुंड खराब करके चले गए।
मोतीपुर के कुन्ना ने बताया कि खेत में अक्सर तेंदुए आ जाते हैं लेकिन गौवंश से फसल को भी बचाना है। इसीलिए खेतों को रखवाली करना मजबूरी है। फसल चली गई तो खाएंगे क्या। आवारा जानवर से बहुत परेशान है।