बहराइच। छह माह से बंद चल रहे कतर्नियाघाट के द्वार आज से खुल गए हैं। मुख्य अतिथि बलहा विधायक सरोज सोनकर व डीएफओ आकाशदीप बधावन फीता काटकर कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग का शुभारंभ किया। इसके साथ ही पर्यटकों की आमद शुरू हो गई।
पर्यटन स्थल कतर्नियाघाट के पर्यटन सत्र का शुभारंभ भव्य तरीके से कतर्नियाघाट रेंज के इंटरप्रटेशन सेंटर पर मंगलवार 15 नवम्बर को निर्धारित समय दोपहर 2 बजे किया गया। पर्यटन सत्र की शुरुआत हवन पूजन के साथ भव्य तरीके से किया गया । पर्यटन सत्र को शुभ बनाने के लिए किए गए हवन पूजन में डीएफओ व विधायक समेत वन विभाग व वन निगम के कई अधिकारियों ने पूजा की। डीएफओ ने कहा कि कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग में पर्यटकों के लिए सभी तरह की सुविधाएं मौजूद हैं। यहां का प्राकृतिक वातावरण व वन्य जीव हमेशा से पर्यटकों को लुभाता रहा है। इस बार और भी अधिक सुविधाओं के साथ पर्यटकों का स्वागत किया जाएगा।
उद्घाटन के बाद अतिथियों द्वारा शैक्षिक भ्रमण पर आए स्कूली बच्चों को जंगल सफारी के लिए हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। शुभारंभ के मौके पर भारत नेपाल सीमा पर बसे बर्दिया गांव में आदिवासी समाज को उनके आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए बनाए गए होम स्टे का उद्घाटन अतिथियों द्वारा किया गया। प्रभागीय वनाधिकारी ने कतर्नियाघाट भृमण पर आए स्कूली बच्चों व पर्यटकों का वन विभाग की टीम के साथ स्वागत किया।
551 वर्ग किमी. में फैला कतर्नियाघाट
551 वर्ग किलोमीटर में फैले इस कतर्नियाघाट में आपको कदम-कदम पर जानवरों की टोलियां दिख जाएंगी। इसके अंदर 30 बाघ, 8 हजार चीतल, 89 तेंदुए, 55 सांभर, 2800 नीलगाय, 300 काकड़, 12 गैंडे, 9 हजार लंगूर, 110 डाल्फिन, 600 घड़ियाल, 2 पालतू हाथी, 85 बारहसिंहा, 80 जंगली हाथी 80, घड़ियाल, मगरमच्छ, मोर, बंदर और 6 हजार जंगली सुअर हैं।
यहां गेरुआ नदी में उछाल मारने वाली गैंजाइटिक डाल्फिन, मगरमच्छों और घड़ियालों के परिवार जाड़े में गेरुआ नदी के रेतीले टीलों पर धूप सेंकते नजर आएंगे। हिरन, सांभर, पाढ़ा, बारहसिंहा, नीलगाय, कांकड़ और लंगूरी बंदरों के झुंड खेलते नजर आ जाएंगे।