लखनऊ। भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व यूपी कैबिनेट के मंत्रियों ने लोकभवन स्थित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा-लोकप्रिय जननेता, प्रखर राष्ट्रभक्त, ओजस्वी वक्ता, असंख्य कार्यकर्ताओं के प्रेरणा-पुंज, पूर्व प्रधानमंत्री, ‘भारत रत्न’ श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि। आपका शुचितापूर्ण राजनीतिक एवं सार्वजनिक जीवन लोकतंत्र हेतु सदैव आदर्श मानक रहेगा।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 अगस्त 2018 को अंतिम सांस ली थी। उनकी गिनती देश की सियासत के उन चंद नेताओं में होती है जो कभी दलगत राजनीति के बंधन में नहीं बंधे। उन्हें हमेशा ही सभी पार्टियों से भरपूर प्यार व स्नेह मिला।
बलरामपुर से बने थे पहली बार सांसद
लोकप्रिय नेता रहे अटल बिहारी वाजपेयी का 16 अगस्त, 2018 को 93 साल की आयु में निधन हो गया था। उनकी दत्तक पुत्री नमिता कौल भट्टाचार्य ने भी उनके समाधि स्थल पहुंचकर नमन किया। उनका जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी आगरा के मूल निवासी थे। वह जनसंघ के संस्थापकों में से एक थे। 1952 में वह पहली बार लोकसभा चुनाव लड़े लेकिन हार गए। इसके बाद 1957 में वह पहली बार यूपी के बलरामपुर से जनसंघ की तरफ से सांसद चुने गए।
तीन बार बने भारत के प्रधानमंत्री
स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 1996 में महज 13 दिन में ही प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद वह 1998 में दोबारा प्रधानमंत्री के पद के लिए चुने गए। वह तीसरी बार 1999 से 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। तब उन्होंने पांच वर्ष का अपना कार्यकाल पूरा किया। देश के सबसे लोकप्रिय नेता अटल बिहार वाजपेयी लखनऊ से 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लोकसभा के लिए चुने गए थे।
सादगी के बीच गुजरा जीवन
अटल बिहारी वाजपेयी का पैतृक गांव आगरा के पास बटेश्वर में था। उनका जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था। उन्होंने ग्वालियर के ही विक्टोरिया कॉलेज से उन्होंने पढ़ाई की। उनके पिता का नाम श्री कृष्ण वाजपेयी था, वह एक स्कूल मास्टर और कवि थे। उनके पूरे जीवन पर नजर डालें तो वो राजनीति, कविता तथा सादगी के बीच गुजरा।
संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी में दिया था भाषण
भारत के पूर्व पीएम वाजपेयी संयुक्त राष्ट्र विधानसभा में हिंदी में भाषण देने वाले पहले विदेश मंत्री भी थे। चार अक्टूबर, 1977 को उन्होंने जब हिंदी में भाषण दिया, तो यूएन तालियों से गूंज उठा था।