मिहींपुरवा। मिहींपुरवा विकास खण्ड के अन्तर्गत कतर्निया जंगलों के अंदर बसे हुए वन ग्राम से राजस्व ग्राम में परिवर्तित ग्राम भवानीपुर में “वन अधिकार जागरूकता बैठक” का आयोजन किया गया। बैठक में 6 वनग्रामों के अतिरिक्त 14 वन बस्तियों के वनटांगिया मजदूरों ने भाग लिया।
बैठक का उद्घाटन सौ वर्ष पुराने नीम के पेड़ का पूजन ,अर्चन और जल सिंचन करके किया गया। बैठक के आयोजन के विषय पर बोलते हुए सामाजिक कार्यकर्ता जंग हिंदुस्तानी ने कहा कि जनपद के मिहींपुरवा विकासखंड के अंतर्गत 5 वन ग्राम तथा 15 वन टांगिया मजदूरों की बस्तियां हैं। “वन ग्राम” वह ग्राम होते हैं जो वानकी कार्यों के लिए ब्रिटिश काल से अब तक वन विभाग द्वारा वन भूमि पर स्थापित किए गए थे लेकिन उसमें शासन प्रशासन की कोई योजनाएं या सुविधाएं लागू नहीं थी। एक लंबे आंदोलन के बाद सुविधाएं मिलनी शुरू हो गई हैं लेकिन पक्का स्कूल पक्का आवास पक्का शौचालय अभी तक नहीं प्राप्त हो पाया है। भवानीपुर बिछिया टेडिया ढकिया को राजस्व ग्राम में परिवर्तित किया जा चुका है। गत विधान सभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के पहले 7 जनवरी 2022 को घोषणा हो गई है। इन वन ग्रामों में निवास करने वाले वन निवासियों को उनके कब्जे की जमीनों पर मालिकाना हक देने के लिए वर्ष 2006 में अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वन निवासी अधिनियम 2006, वन अधिकार कानून 2006 लागू किया गया था । तब से अब तक 273 लोगों का मालिकाना हक बनाया जा चुका है। महबूब नगर में 144 लोगों का मालिकाना हक बन चुका है उन्हें सिर्फ दिया जाना है।
इसके अतिरिक्त हाल ही में चार वन ग्राम भवानीपुर, बिछिया, टेडिया, ढकिया के 36 लोगों का और भी मालिकाना हक बन चुका है जिसे वितरित किया जाना है । इसके अतिरिक्त शेष दावा पत्रावालियों की सुनवाई चल रही है। बैठक में मुख्य अतिथि के तौर पर बोलते हुए राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि वन ग्राम का राजस्व ग्राम में परिवर्तित होना उत्तर प्रदेश सरकार का ऐतिहासिक कदम है। इस से वन निवासियों के जीवन में अभूतपूर्व बदलाव आएगा और उनको देश की मुख्यधारा से जोड़ने में मदद मिलेगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे शंकर सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश की लोकप्रिय सरकार ने अब वनग्राम भवानीपुर, बिछिया, टेड़िया, ढकिया और दफादार गौड़ी (गोकुलपुर) के वन अधिकार धारक अपने अधिभोगाधीन भूमि पर कृषि तथा आवासीय सुविधाओं के साथ मालिकाना हक प्राप्त कर सकेंगे। शीघ्र ही उनको दिए गए मालिकाना हक को राजस्व अभिलेखों में दर्ज कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि जो भी पात्र दावेदार अभी तक दावा करने से छूट गए हैं या फिर उनकी पत्रावली लंबित है उन्हें शीघ्र ही ग्रामस्तर पर कैंप लगाकर वन अधिकार दिया जाए।
उन्होंने कहा कि वनग्राम वासियों की परसों से चली आ रही मांग पूरी हुई है और अब पक्के आवास, पक्के शौचालय, पक्का विद्यालय और पक्की सड़क पाने के अधिकार हैं। इन गांवों में सामुदायिक सुविधाओं को देने के लिए विभिन्न विभागों के द्वारा विद्यालय, औषधालय, पानी की टंकी, सिंचाई नहरें, कौशल उन्नयन केंद्र आदि बनाए जाएंगे। चहलवा ग्राम प्रधान प्रतिनिधि प्रीतम निषाद ने कहा कि जब एक ओर हमें अधिकार प्राप्त होता है तो वहीं दूसरी ओर हमें अपने कर्तव्यों के प्रति भी ध्यान देना चाहिए। जल, जंगल, जमीन और वन्यजीव की सुरक्षा के लिए वन निवासियों को सजग रहना होगा। बैठक के बाद विभिन्न वन ग्राम से आए वन निवासियों ने वन ग्राम भवानीपुर का स्थलीय भ्रमण किया और लोगों के रहन सहन की स्थिति को जाना।