मिहींपुरवा। करीब 70 साल पहले बसे पड़रिया गांव में वन विभाग जब जेसीबी लेकर पहुंचा तो गांव के लोग सन्न रह गये। किसी को भनक तक नहीं थी कि वनविभाग करीब आधा गांव उजाड़ने वाला है। देखते ही देखते घर उजाड़ने की ये खबर पूरे गांव में आग की तरह फ़ैल गई। धीरे-धीरे पूरा हुजूम इकट्ठा हो गया और लोग बेबस होकर वनविभाग की कार्यवाही होते देखते रहे।
मिहींपुरवा ब्लॉक क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पड़रिया में सोमवार सुबह वन विभाग दल बल के साथ करीब आधा गांव उजाड़ने पहुँच गया। वन विभाग का कहना था कि इस गांव में करीब 500 हेक्टेयर की जमीन उसकी है, लोगों ने यहाँ अवैध कब्ज़ा कर रखा है। अपने आशियानों के उजड़ने की खबर सुनते ही गांव के लोग सन्न रह गये। वनविभाग ने कुछ दी देर में खेत और लोगों के आशियाने उजाड़ने की कार्यवाही शुरु कर दी। वन विभाग के साथ भारी पुलिस बल मौजूद था इसलिए गांव के लोग विरोध भी नही कर पाए।
कुछ ही देर में लोग घर से बेघर हो गये। बता दें कि 5 हजार की आबादी वाले इस गांव में सरकारी आवास हैं, बिजली है और केंद्र सरकार द्वारा दी गई सभी सुख-सुविधाएं हैं। गांव वालों का कहना है वर्ष 2001 में प्रशासन द्वारा हमे बताया गया कि इस गांव की आधे से ज्यादा जमीन वन विभाग की है। इस मामले को लेकर हाईकोर्ट के चक्कर लगाये गये और आखिरकार गांव वालों को 2006 में राहत मिल गई। हाईकोर्ट के मुताबिक उनकी जमीन वन विभाग से छूट गई थी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद गांव वाले आश्वस्त हो गये। सबकुछ ठीक था लेकिन 2018 की शुरुआत से वनविभाग ने लगातार नोटिस भेजनी शुरु कर दी।
वन विभाग का कहना था गांव के लोग कब्ज़ा करके यहाँ रह रहे हैं। सोमवार को वनविभाग की जेसीबी ने गांव के खेत-खलिहान और घरों को अपने जद में लेना शुरु कर दिया। वनविभाग की यह कार्यवाही अगले कुछ दिन तक चलेगी। घरों के उजड़ने से गांव वालों पर रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। लोगों का वनविभाग और सरकार के खिलाफ गुस्सा भरा पड़ा है। जानकारी के मुताबिक इस मामले को लेकर गांव वाले डीएम के पास जायेंगे। उपजिलाधिकारी कुंवर वीरेंद्र मौर्य व डीएफओ जीपी सिंह की मौजूदगी में 500 हेक्टेयर के करीब जमीन घरों और खेतों को उजाड़कर खाली कराई है। कार्यवाही के दौरान पुलिस क्षेत्राधिकारी नानपारा, एसएचओ मोतीपुर प्रमोद कुमार सिंह, वन्य क्षेत्राधिकारी चकिया ज़हीर मिर्ज़ा समेत सभी रेंजो के क्षेत्राधिकारी व भारी संख्या में गांव वाले मौजूद रहे।