बहराइच। साइबर ठगों ने सीएचसी में तैनात चिकित्सक को अधिकारी बनकर डिजिटल अरेस्ट करके 9 लाख रुपए की ठगी कर ली है। जब चिकित्सक को अपने साथ हुई ठगी का पता चला तो साइबर थाना पुलिस से शिकायत कर मुकदमा दर्ज कराया।
देहात कोतवाली के नाज़िरपुरा नई बस्ती निवासी डॉ दीपक शुक्ला श्रावस्ती जिले के गिलौला सीएचसी में प्रभारी के पद पर तैनात है। उन्होंने बताया कि 29 जनवरी की दोपहर तीन बजे उनके मोबाइल पर अभिराज शुक्ला नाम के व्यक्ति की कॉल आई और उसने बताया कि वह टेलीकॉम अथॉरिटी ऑफ इंडिया से बोल रहा है। एक मोबाइल नंबर आपके नाम से रजिस्टर्ड है और आप पर धमकी भरे मैसेज भेजने के आरोप के चलते एफआईआर दर्ज हुई है। जब उन्होंने बताया गया कि वे एक सरकारी चिकित्सक है और उनके नाम दो मोबाइल नंबर ही है। इस पर अभिराज ने दो घंटे में दिल्ली क्राइम ब्रांच हेड ऑफिस पहुँचने वरना दोनों नंबर बंद कर गिरफ्तारी आदेश जारी होने की बात कही।
इसके बाद उसने एक क्राइम ब्रांच ऑफिस के अधिकारी से बात कराई। इस दौरान पुलिस वर्दी में एक अधिकारी बैठा दिखा जिसने अपना नाम आइपीएस समाधान पवार बताया। इसके बाद उनके नाम से बने बैंक अकाउंट से मनी लॉन्ड्रिंग व ह्यूमन ट्रैफिकिंग गिरोह द्वारा इन लीगल ट्रांजेक्शन किए जाने की बात बताई। जब उन्होंने इससे इन्कार किया तो बोला कि वे दो दिन तक लगातार ऑडियो कॉल पर जुड़े रहे। 31 जनवरी को अधिकारी ने कॉल कर इंडियन बैंक द्वारा भेजे गए बैंक अकाउंट में पैसे भेजने और जांच के बाद वापस लौटाने की बात कही। दबाव में आकर डॉक्टर ने उसी दिन पूना स्थित बैंक खाते में चार लाख रुपये भेज दिए। इसके बाद तीन फरवरी को दोबारा से सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में पांच लाख रुपये भेजने की बात करते हुए नागपुर स्थित बैंक का खाता नंबर दिया। उन्होंने पांच लाख रुपये कुल नौ लाख रुपये उक्त लोगों को ट्रांसफर कर दिए।
वहीं अगले दिन सुबह जब ठगों का फोन नहीं उठा तो डॉक्टर को ठगे जाने का पता चला। उनकी शिकायत पर साइबर थाना पुलिस ने अज्ञात पर जालसाजी, धोखाधड़ी, आईटी एक्ट का मामला दर्ज कर लिया है।
क्या है डिजिटल अरेस्ट
डिजिटल अरेस्ट ब्लैकमेल करने का एक एडवांस तरीका है। डिजिटल अरेस्ट का सीधा मतलब ऐसा है कि कोई आपको ऑनलाइन धमकी देकर वीडियो कॉलिंग के जरिए आप पर नजर रख रहा है। डिजिटल अरेस्ट के दौरान साइबर ठग नकली पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को धमकाते हैं और अपना शिकार बनाते हैं। इस दौरान वे लोगों से वीडियो कॉल पर लगातार बने रहने के लिए कहते हैं और इसी बीच केस को खत्म करने के लिए पैसे भी ट्रांसफर करवाते रहते हैं।
डिजिटल अरेस्ट करने वाले ठग लोगों को फोन करके कहते हैं कि वे पुलिस डिपार्टमेंट, सीबीआई, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट या अन्य किसी विभाग से बात कर रहे हैं। ये कहते हैं कि आपके पैन और आधार का इस्तेमाल करते हुए तमाम चीजें की खरीदी गई हैं या फिर मनी लॉन्ड्रिंग की गई है। कई बार यह भी दावा किया जाता है कि वे कस्टम विभाग से बोल रहे हैं और आपके नाम से कोई पार्सल आया है जिसमें ड्रग्स या प्रतिबंधित चीजें हैं।
डिजिटल अरेस्ट से बचने का रास्ता क्या है?
डिजिटल अरेस्ट से बचने का आसान रास्ता जानकारी है। इसकी शुरुआत ही आपके डर के साथ होती है। ऐसे में यदि आपके पास भी इस तरह की धमकी वाले फोन कॉल आते हैं तो आपको डरने की जरूरत नहीं है। कोई कॉल करके धमकाता है तो डरें नहीं, बल्कि डटकर सामना करें। देश पुलिस. सीबीआई, क्राईम ब्रांच या अन्य कोई भी विभाग कभी भी वीडियो कॉल कर इस तरह अरेस्ट नहीं करता है।
ऐसे कॉल आने पर तुरंत पुलिस में शिकायत करें। यदि कोई मैसेज या ई-मेल आता है तो उसे सबूत के तौर पर पुलिस को दें। यदि किसी कारण आपने कॉल रिसीव कर लिया और आपको वीडियो कॉल पर कोई धमकी देने लगा तो स्क्रीन रिकॉर्डिंग के जरिए वीडियो कॉल को रिकॉर्ड करें और शिकायत करें। किसी भी कीमत पर डरें नहीं और पैसे तो बिलकुल भी ना भेजें।