लखनऊ। उत्तर प्रदेश के लखनऊ में ट्रिपल मर्डर केस में मुख्य आरोपी लल्लन उर्फ सिराज खान उर्फ गब्बर और उसके बेटे फराज को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। वारदात के बाद से दोनों फरार हो थे। इस मामले में उनका ड्राइवर अशरफी भी पकड़ा गया है वहीं वहीं एक अन्य आरोपी भतीजे फुरकान की तलाश है।
डीसीपी वेस्ट राहुल राज ने बताया कि मलिहाबाद में दो पक्षों में जमीन को लेकर काफी समय से विवाद चल रहा है। जिसमें एक पक्ष फरीद और दूसरा सिराज ऊर्फ लल्लन खां (गब्बर) का है। शुक्रवार को जमीन की पैमाइश होनी थी। फरीद अपने चाचा मुनीर और सिराज अपने बेटे फराज के साथ मौके पर मौजूद थे। इसी दौरान उनके बीच कहासुनी हो गई। जिसके चलते जमीन की पैमाइश नहीं हो पाई। जिसके बाद फरीद, चाचा मुनीर और अन्य लोगों के साथ वापस अपने घर मोहम्मदनगर पहुंच गया। इसके फौरन बाद थार गाड़ी से सिराज अहमद उर्फ लल्लन अपने बेटे फराज अहमद के साथ फरीद के घर पहुंचा। यहां पर विवाद के बाद सिराज और फराज ने अपनी लाइसेंसी राइफल से पहले मुनीर को गोली मारी। इसके बाद हंजला खां और फरहीन को गोली मार कर हत्या कर दी। घटना के बाद ये दोनों आरोपी भाग निकले। आरोपी उत्तराखंड के रास्ते नेपाल भागने की फिराक में थे। नेपाल बॉर्डर पर पुलिस लगाई गई थी। एयरपोर्ट पर भी उनकी तलाश की जा रही थी।
उन्होंने बताया कि आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस की 5 टीमें लगाई गई थी। जिसमें एसएचओ दुबग्गा अभिनव वर्मा सहित मलिहाबाद, काकोरी, सर्विलांस टीम व अन्य लोग शामिल थे। पुलिस दबाव के चलते ये लखनऊ में कोर्ट मे सरेंडर की फिराक में थे। दोनों आरोपियों सिराज ऊर्फ लल्लन खां और उसके बेटे फराज को दुबग्गा तिराहे से शनिवार को गिरफ्तार किया गया है। इनके ड्राइवर अशर्फी को भी गिरफ्तार किया गया है।
आपको बता दें कि 70 साल के लल्लन खान के खिलाफ पहले से भी कई मामले दर्ज हैं। 80 के दशक में उसकी तूती बोलती थी। लल्लन उस दौर का छंटा हुआ बदमाश था। 1985 के दौरान उसके घर से कई हथियार बरामद किये गए थे। उस दौर में वो घोड़े से चलता था और खुद को गब्बर सिंह कहलवाता था। पुलिस इस मामले की भी जांच में जुट गई है कि 1985 में अवैध तरीके से एक ही लाइसेंस पर कई हथियार बरामद होने के बाद भी उसके पास लाइसेंस कैसे बना रह गया और इतने सालों तक रिन्यू कैसे होता रहा।
2013 से चल रहा था बंटवारे का केस
शुक्रवार को मलिहाबाद में जो घटना हुई, उसे जमीन विवाद के मामले में केस 2013 से चल रहा था। राजधानी की पांचों तहसील सदर, बक्शी का तालाब, सरोजिनी नगर, मलिहाबाद और मोहनलालगंज में हजारों केस पेंडिंग हैं। दरअसल, मुकदमों की बढ़ती संख्या का सबसे बड़ा कारण राजस्व कोर्ट में रोजाना सुनवाई नहीं होना है। सेंट्रल बार एसोसिएशन के महामंत्री अमरेश पाल सिंह का कहना है कि एसडीएम और दूसरे अफसर अक्सर कानून- व्यवस्था, प्रोटोकॉल, कोर्ट केस और दूसरे कार्यों में व्यस्त रहते हैं। इस कारण नियमित सुनवाई करना संभव नहीं हो पता है। बार एसोसिएशन ने कई बार मांग की है कि राजस्व कोर्ट में सुनवाई के लिए एसडीएम न्यायिक का पद होना चाहिए। इससे कोर्ट केस को निपटाने में मदद मिले लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है।