लखनऊ। उत्तर प्रदेश के लखनऊ में केन्द्रीय गृहमंत्री का पीएस बताकर जालसाजों ने 85 लाख रुपये ऐंठ लिए। ठग व उसके साथियों ने दोनों भाइयों से दो करोड़ रुपये रंगदारी की मांग की। रकम न देने पर झूठे केस में फंसाने की धमकी भी दी। पीड़ित ने दम्पति समेत आठ लोगों के खिलाफ गोमतीनगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया है।
सरस्वतीपुरम गोमतीनगर निवासी आशीष कोहली ने बताया कि भाई गोल्डी प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करते हैं। उनका दिल्ली NCLT कोर्ट में एक केस चल रहा है। जिसका वह स्टे खारिज कराने का प्रयास कर रहे थे। इसी दौरान उनकी मुलाकात गाजियाबाद राजनगर ऑफिसर्स सिटी निवासी नितिन गुप्ता, उसकी पत्नी शिखा गुप्ता और उनके परिचित वरुण चौहान से हुई। नितिन ने बताया कि वह एक केंद्रीय मंत्री का पीएस है जबकि वरुण गृहमंत्री के पीएस हैं। दावा किया वह स्टे खारिज करा देंगे। इसके लिए उन्होंने 12 लाख रुपये की मांग की। आशीष व उनके भाई झांसे में आ गए और हामी भर दी। कुछ ही दिनों बाद नितिन व वरुण ने स्टे खारिज होने का एनसीएलटी का एक ऑर्डर आशीष को दिया। मगर ये ऑर्डर ट्रिब्यूनल की वेबसाइट पर अपलोड नहीं हुआ।
आशीष कोहली के मुताबिक नितिन ने उनसे व गोल्डी से कहा कि वह केंद्र सरकार से उनके एनजीओ को 180 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट दिला सकते हैं। कागजी कार्रवाई पूरी करने पर दस करोड़ रुपये एडवांस मिल जाएंगे। इसके एवज में उन्होंने 20 लाख रुपये वसूले। मगर तय वक्त में कोई रकम आशीष व गोल्डी के बैंक खातों में नहीं आई। ठगी का एहसास होने पर आशीष ने तगादा किया तो पता चला कि वरुण उनकी जमीन के फर्जी दस्तावेज बनाकर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है। उसने धमकाया कि दो करोड़ रुपये दो वरना केस में फंसाकर जेल भिजवा देंगे। इस पर गोल्डी ने वरुण की पत्नी के खाते में 50 लाख रुपये जमा किए। तीन लाख रुपये और दिए। इस तरह वरुण व नितिन ने पीड़ित आशीष व गोल्डी से कुल 85 लाख रुपये वसूल लिए।
साजिश के तहत ठगी, विभागों में गहरी पैठ
आशीष ने बताया कि नितिन से उनका कोई परिचय नहीं था। उसी ने फोन करके कहा था कि एनसीएलटी में तुम्हारा केस चल रहा है। जिसका वह स्टे खारिज करा सकता है। इससे साफ है कि गिरोह ने साजिश के तहत ठगी को अंजाम दिया। आरोपियों की एनसीएलटी से लेकर सरकारी विभागों तक में गहरी पैठ है।
आरोपियों में दो इंस्पेक्टर भी शामिल
एफआईआर नितिन, शिखा, वरुण, रवि चौहान, कविता चौहान, देवेंद्र सिंह, विवेक, वैभव व अन्य आरोपी हैं। आशीष ने बताया कि आरोपियों में शामिल देवेंद्र सिंह व विवेक यूपी पुलिस में इंस्पेक्टर हैं। दोनों मथुरा में तैनात हैं। ये दोनों गिरोह को पुलिसिया मदद देते हैं। हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है। एडीसीपी पूर्वी सैयद अली अब्बास का कहना है कि तथ्यों की तस्दीक की जा रही है।
राजस्थान पुलिस के हत्थे चढ़ चुका गिरोह
गिरोह में शामिल सभी लोग बेहद शातिर हैं और अब तक करोड़ों रुपये की ठगी कर चुके हैं। गिरोह में शिखा की भूमिका बड़ी अहम रहती है। ये गिरोह 2019 में राजस्थान पुलिस के हत्थे चढ़ चुका है। तब राजस्थान पुलिस की एसओजी विंग ने खुलासा किया था कि ठग दंपती नितिन व शिखा ने हजारों लोगों से ठगी की है। शिखा खुद को केंद्रीय फिल्म सेंसर बोर्ड की सदस्य बताती थी। ये लोग सेंसर बोर्ड से प्रमाणपत्र दिलाने, रेलवे व अन्य सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करते थे। आरोपी नितिन मूलरूप से अलीगढ़ का रहने वाला है। पहले वह मेरठ की कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करता था। जहां उसकी मुलाकात मैरिज ब्यूरो में काम करने वाली शिखा से हुई थी। नितिन ने शिखा से दूसरी शादी की थी।