बहराइच। अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ व विशेष न्यायाधीश ईसी एक्ट सुरजन सिंह की कोर्ट ने मारपीट से जुड़े एक मामले में पूर्व सांसद सावित्री फूले सहित चार अन्य आरोपियों द्वारा दाखिल अपील को खारिज कर दिया। मारपीट के 13 वर्ष पुराने मामले में सावित्री बाई फुले सहित चार को दोषी करार दिया गया था।
नानपारा के बंजारनटांड़ा निवासी टेकराम ने 29 जून 2009 को पूर्व सांसद सावित्रीबाई फुले, घुनघुन व अक्षयवरनाथ कनौजिया के खिलाफ मारपीट व जानमाल की धमकी देने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने इस मामले में चारों के खिलाफ अदालत ने चार्जशीट प्रस्तुत की। जिले की एमपी-एमएलए कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए बीते साल अगस्त में पूर्व सांसद सावित्र बाई फूले समेत चारों नामजद आरोपियों को जान से मारने की धारा से दोषमुक्त करते हुए मारपीट के मामले में परिवीक्षा अधिनियम के तहत 25-25 हजार रुपये के एक-एक निजी बंधपत्र पर एक वर्ष तक आपराधिक घटना से दूर रहने का बांड भरकर रिहा करने का आदेश दिया था।
इस दौरान सभी को जिला प्रोबेशन अधिकारी के समक्ष उपस्थित होकर निरंतर अपनी उपस्थित भी दर्ज कराना जरूर होता है। परवीक्षा के दौरान उन्हें सदाचरण बनाए रखना होगा। किसी अपराध में संलिप्तता नहीं होनी चाहिए। परवीक्षा अवधि समाप्त होने के बाद यदि इसका उल्लंघन होता है तो अदालत विधि के अनुसार दंड दे सकती है।
आदेश के खिलाफ पूर्व सांसद सहित चारों आरोपियों ने अपर सत्र न्यायाधीश व विशेष न्यायाधीश ईसी एक्ट सुरजन सिंह की कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी। विशेष न्यायाधीश ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद एमपी-एमएलए कोर्ट आदेश को बरकरार रखते हुए पूर्व सांसद आदि की याचिका को खारिज कर दिया।