लखनऊ। उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव के लिए सरकार की ओर से जारी ओबीसी आरक्षण को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने रद्द कर दिया है। इस फैसले पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का बयान भी समाने आया है।
सीएम योगी ने कहा, ‘प्रदेश सरकार नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन के परिप्रेक्ष्य में आयोग गठित कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध करायेगी। इसके उपरान्त ही नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन को सम्पन्न कराया जाएगा। आवश्यक हुआ तो राज्य सरकार हाईकोर्ट के निर्णय के क्रम में तमाम कानूनी पहलुओं पर विचार करके सुप्राम कोर्ट में अपील भी करेगी।’
इससे पहले हाईकोर्ट के फैसले के बाद विपक्षी दलों ने सरकार पर हमले शुरू कर दिए हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि आज आरक्षण विरोधी भाजपा निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के विषय पर घड़ियाली सहानुभूति दिखा रही है। आज भाजपा ने पिछड़ों के आरक्षण का हक छीना है। कल भाजपा बाबा साहब द्वारा दिए गये दलितों का आरक्षण भी छीन लेगी। उन्होंने आरक्षण को बचाने की लड़ाई में पिछड़ों व दलितों से सपा का साथ देने की अपील की है। अखिलेश यादव ने कहा है कि आरक्षण बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे। मायावती ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह फैसला भाजपा की आरक्षण विरोधी मानसिकता को दिखाता है।
मंत्री बोले- बिना आरक्षण निकाय चुनाव ठीक नहीं
अपना दल (एस) के कार्यकारी अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल ने कहा कि ओबीसी आरक्षण के बिना निकाय चुनाव किसी भी दृष्टि से उचित नहीं हैं। हम इस संदर्भ में लखनऊ उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले का अध्ययन कर रहे हैं। जरूरत पड़ी तो अपना दल (एस) ओबीसी के हक के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा।
जानबूझकर गलत आरक्षण कराया
नगर निकाय चुनाव कराने को लेकर हाईकोर्ट के फैसल आने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) केप्रदेश प्रभारी और सांसद संजय सिंह ने सरकार पर जानबूझकर गलत आरक्षण करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले से स्पष्ट हो गया है कि भाजपा दलितों, पिछड़ों और शोषित वर्ग की विरोधी है। उन्होंने कहा कि सरकार यदि बिना पिछड़ों को बगैर आरक्षण दिए चुनाव कराती है तो आप आंदोलन करेगी। आप सांसद ने कहा कि जब आयोग का गठन करके आरक्षण दिया जाना था तो सरकार ने आयोग का क्यों नहीं किया। उन्होंने कहा कि भाजपा पिछड़ों का हक क्यों मार रही है। सरकार पहले नौकरी में आरक्षण छीना और अब चुनाव में आरक्षण छीन रही है।