लखनऊ। यूपी में मैनपुरी लोकसभा सीट और रामपुर व खतौली सीट पर उपचुनाव के लिए वोटिंग शाम छह बजे खत्म हो गई। उपचुनाव के नतीजे आठ दिसंबर को आएंगे। तीनों ही जगह कांटे की टक्कर है।
मैनपुरी में 51.2 %, रामपुर में 31.22 % और खतौली में कुल 56.40 % तक मतदान हुआ। मैनपुरी में पिछली बार 58.5 % मतदान हुआ था। इस बार यह 7.3 % कम है। रामपुर में पिछली बार 56.4% मतदान हुआ था। इस बार यह 25.18 % कम है। इसी तरह खतौली में पिछली बार 69.7% मतदान हुआ। यह पिछली बार से 13.3 % कम है।
इस चुनाव को 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के सेमीफाइनल की तरह देखा जा रहा है। एक तरफ मैनपुरी सीट का रिजल्ट देश की राजनीति में अखिलेश का राजनीतिक कद तय करेगा, तो दूसरी तरफ रामपुर सीट आजम खान के परिवार की राजनीति का भविष्य तय करेगी। वहीं, मुजफ्फरनगर की खतौली सीट पर भाजपा अपना वर्चस्व बनाए रखना चाहती है।
गढ़ भेदने की परीक्षा
सपा ने अपने संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई मैनपुरी सीट से डिंपल यादव को उम्मीदवार बनाया है। इस सीट को जीतना अखिलेश के लिए केवल मुलायम की विरासत को बनाए रखने के लिए ही जरूरी नहीं है, बल्कि, चुनाव में सैफई परिवार के अहम चेहरों की हार का सिलसिला तोड़ने के लिए भी जरूरी है। हाल में ही आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में धर्मेंद्र यादव हार गए थे। इसके पहले 2019 के आम चुनाव में सैफई परिवार के सदस्यों में डिंपल यादव, धर्मेंद्र यादव और अक्षय यादव को हार का सामना करना पड़ा था।
वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद आजमगढ़ और रामपुर का सपा का गढ़ भाजपा भेद चुकी है। अब उसकी नजरें मैनपुरी भेदने पर हैं। प्रत्याशी रघुराज शाक्य के समर्थन में पार्टी के नेताओं, सरकार के 10 से ज्यादा मंत्रियों के प्रचार के अलावा सीएम योगी आदित्यनाथ ने खुद भी दो जनसभाएं की हैं। मेहनत और स्थानीय समीकरणों को साध भाजपा ने अगर मैनपुरी भेद दिया तो 2024 के लोकसभा चुनाव में उसके लिए रास्ता बहुत आसान दिखने लगेगा। विपक्ष की उम्मीदें धुंधली होंगी। वहीं, सपा ने यह सीट बरकरार रखी तो अखिलेश के कद और पद दोनों में ही सपा व समर्थकों का भरोसा बना रहेगा। अखिलेश के लिए प्रदेश के साथ ही देश की सियासत में प्रभावी बने रखने के लिए मैनपुरी बचाना जरूरी होगा।